तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्।।18.62।।
।।18.62।।हे भरतवंशोद्भव अर्जुन तू सर्वभावसे उस ईश्वरकी ही शरणमें चला जा। उसकी कृपासे तू परमशान्ति(संसारसे सर्वथा उपरति) को और अविनाशी परमपदको प्राप्त हो जायगा।
।।18.62।। हे भारत तुम सम्पूर्ण भाव से उसी (ईश्वर) की शरण में जाओ। उसके प्रसाद से तुम परम शान्ति और शाश्वत स्थान को प्राप्त करोगे।।