मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे।।18.65।।
।।18.65।।तू मेरा भक्त हो जा? मेरेमें मनवाला हो जा? मेरा पूजन करनेवाला हो जा और मेरेको नमस्कार कर। ऐसा करनेसे तू मेरेको ही प्राप्त हो जायगा -- यह मैं तेरे सामने सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यन्त प्रिय है।
।।18.65।। तुम मच्चित? मद्भक्त और मेरे पूजक (मद्याजी) बनो और मुझे नमस्कार करो (इस प्रकार) तुम मुझे ही प्राप्त होगे यह मैं तुम्हे सत्य वचन देता हूँ? (क्योंकि) तुम मेरे प्रिय हो।।