सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।18.66।।
।।18.66।।सम्पूर्ण धर्मोंका आश्रय छोड़कर तू केवल मेरी शरणमें आ जा। मैं तुझे सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त कर दूँगा? चिन्ता मत कर।
।।18.66।। सब धर्मों का परित्याग करके तुम एक मेरी ही शरण में आओ? मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा? तुम शोक मत करो।।