य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।2.19।।
।।2.19।।जो मनुष्य इस अविनाशी शरीरीको मारनेवाला मानता है और जो मनुष्य इसको मरा मानता है वे दोनों ही इसको नहीं जानते क्योंकि यह न मारता है और न मारा जाता है।
।।2.19।। जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है वे दोनों ही नहीं जानते हैं? क्योंकि यह आत्मा न मरता है और न मारा जाता है।।