अथ चैनं नित्यजातं नित्यं वा मन्यसे मृतम्।
तथापि त्वं महाबाहो नैवं शोचितुमर्हसि।।2.26।।
।।2.26।।हे महाबाहो अगर तुम इस देहीको नित्य पैदा होनेवाला और नित्य मरनेवाला भी मानो तो भी तुम्हें इसका शोक नहीं करना चाहिये।
।।2.26।। और यदि तुम आत्मा को नित्य जन्मने और नित्य मरने वाला मानो तो भी? हे महाबाहो इस प्रकार शोक करना तुम्हारे लिए उचित नहीं है।।