देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत।
तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि।।2.30।।
।।2.30।।हे भरतवंशोद्भव अर्जुन सबके देहमें यह देही नित्य ही अवध्य है। इसलिये सम्पूर्ण प्राणियोंके लिये अर्थात् किसी भी प्राणीके लिये तुम्हें शोक नहीं करना चाहिये।
।।2.30।। हे भारत यह देही आत्मा सबके शरीर में सदा ही अवध्य है? इसलिए समस्त प्राणियों के लिए तुम्हें शोक करना उचित नहीं।।