अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्।
संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।2.34।।
।।2.34।।सब प्राणी भी तेरी सदा रहनेवाली अपकीर्तिका कथन करेंगे। वह अपकीर्ति सम्मानित मनुष्यके लिये मृत्युसे भी बढ़कर दुःखदायी होती है।
।।2.34।। और सब लोग तुम्हारी बहुत काल तक रहने वाली अपकीर्ति को भी कहते रहेंगे और सम्मानित पुरुष के लिए अपकीर्ति मरण से भी अधिक होती है।।