व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन।
बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्।।2.41।।
।।2.41।।हे कुरुनन्दन इस समबुद्धिकी प्राप्तिके विषयमें व्यवसायात्मिका बुद्धि एक ही होती है। अव्यवसायी मनुष्योंकी बुद्धियाँ अनन्त और बहुशाखाओंवाली ही होती हैं।
।।2.41।। हे कुरुनन्दन इस (विषय) में निश्चयात्मक बुद्धि एक ही है? अज्ञानी पुरुषों की बुद्धियां (संकल्प) बहुत भेदों वाली और अनन्त होती हैं।।