कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम्।
क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति।।2.43।।
।।2.43।। कामनाओं से युक्त? स्वर्ग को ही श्रेष्ठ मानने वाले लोग भोग और ऐश्वर्य को प्राप्त कराने वाली अनेक क्रियाओं को बताते हैं जो (वास्तव में) जन्मरूप कर्मफल को देने वाली होती हैं।।
।।2.43।। no commentary.उससे (वाणी से) जिनका चित्त हर लिया गया है ऐसे भोग और ऐश्वर्य में आसक्ति रखने वाले पुरुषों के अन्तकरण में निश्चयात्मक बुद्धि नहीं होती अर्थात् वे ध्यान का अभ्यास करने योग्य नहीं