ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।
।।2.62।। विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उसमें आसक्ति हो जाती है? आसक्ति से इच्छा और इच्छा से क्रोध उत्पन्न होता है।।
।।2.62।। no commentary.