यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।3.23।।
।।3.23 3.24।।हे पार्थ अगर मैं किसी समय सावधान होकर कर्तव्यकर्म न करूँ (तो बड़ी हानि हो जाय क्योंकि) मनुष्य सब प्रकारसे मेरे ही मार्गका अनुसरण करते हैं। यदि मैं कर्म न करूँ तो ये सब मनुष्य नष्टभ्रष्ट हो जायँ और मैं संकरताको करनेवाला तथा इस समस्त प्रजाको नष्ट करनेवाला बनूँ।
।।3.23।। यदि मैं सावधान हुआ (अतन्द्रित) कदाचित कर्म में न लगा रहूँ तो हे पार्थ सब प्रकार से मनुष्य मेरे मार्ग (र्वत्म) का अनुसरण करेंगे।।