प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताऽहमिति मन्यते।।3.27।।
।।3.27।।सम्पूर्ण कर्म सब प्रकारसे प्रकृतिके गुणोंद्वारा किये जाते हैं परन्तु अहंकारसे मोहित अन्तःकरणवाला अज्ञानी मनुष्य मैं कर्ता हूँ ऐसा मानता है।
।।3.27।। सम्पूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं अहंकार से मोहित हुआ पुरुष मैं कर्ता हूँ ऐसा मान लेता है।।