तत्त्ववित्तु महाबाहो गुणकर्मविभागयोः।
गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते।।3.28।।
।।3.28।।हे महाबाहो गुणविभाग और कर्मविभागको तत्त्वसे जाननेवाला महापुरुष सम्पूर्ण गुण ही गुणोंमें बरत रहे हैं ऐसा मानकर उनमें आसक्त नहीं होता।
।।3.28।। परन्तु हे महाबाहो गुण और कर्म के विभाग के सत्य (तत्त्व)को जानने वाला ज्ञानी पुरुष यह जानकर कि गुण गुणों में बर्तते हैं (कर्म में) आसक्त नहीं होता।।