धूमेनाव्रियते वह्निर्यथाऽऽदर्शो मलेन च।
यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्।।3.38।।
।।3.38।। जैसे धुयें से अग्नि और धूलि से दर्पण ढक जाता है तथा जैसे भ्रूण गर्भाशय से ढका रहता है वैसे उस (काम) के द्वारा यह (ज्ञान) आवृत होता है।।
Lord Krishna is giving the three examples to indicate the varying degrees of kama or lust and that everyone is immersed in kama in some way that this is the situation in the world. How kama envelopes the mind and the intellect is coming next.