इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते।
एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनम्।।3.40।।
।।3.40।।इन्द्रियाँ मन और बुद्धि इस कामके वासस्थान कहे गये हैं। यह काम इन(इन्द्रियाँ मन और बुद्धि) के द्वारा ज्ञानको ढककर देहाभिमानी मनुष्यको मोहित करता है।
।।3.40।। इन्द्रियाँ मन और बुद्धि इसके निवास स्थान कहे जाते हैं यह काम इनके द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके देही पुरुष को मोहित करता है।।