एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः।
कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम्।।4.15।।
।।4.15।। पूर्व के मुमुक्ष पुरुषों द्वारा भी इस प्रकार जानकर ही कर्म किया गया है इसलिये तुम भी पूर्वजों द्वारा सदा से किये हुए कर्मों को ही करो।।
Even after realising the eternally, transcendental position of the Supreme Lord one should still perform Vedic actions as a matter of principle following the tradition of the ancients. The performance of Vedic actions of the ancients means without desires or attachments.