एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप।।4.2।।
।।4.2।।हे परंतप इस तरह परम्परासे प्राप्त इस योगको राजर्षियोंने जाना। परन्तु बहुत समय बीत जानेके कारण वह योग इस मनुष्यलोकमें लुप्तप्राय हो गया।
।।4.2।। इस प्रकार परम्परा से प्राप्त हुये इस योग को राजर्षियों ने जाना (परन्तु) हे परन्तप वह योग बहुत काल (के अन्तराल) से यहाँ (इस लोक में) नष्टप्राय हो गया।।