न कर्तृत्वं न कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभुः।
न कर्मफलसंयोगं स्वभावस्तु प्रवर्तते।।5.14।।
।।5.14।।परमेश्वर मनुष्योंके न कर्तापनकी न कर्मोंकी और न कर्मफलके साथ संयोगकी रचना करते हैं किन्तु स्वभाव ही बरत रहा है।
।।5.14।। लोकमात्र के लिए प्रभु (ईश्वर) न कर्तृत्व न कर्म और न कर्मफल के संयोग को रचता है। परन्तु प्रकृति (सब कुछ) करती है।।