नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः।
अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः।।5.15।।
।।5.15।।सर्वव्यापी परमात्मा न किसीके पापकर्मको और न शुभकर्मको ही ग्रहण करता है किन्तु अज्ञानसे ज्ञान ढका हुआ है उसीसे सब जीव मोहित हो रहे हैं।
।।5.15।। विभु परमात्मा न किसी के पापकर्म को और न पुण्यकर्म को ही ग्रहण करता है (किन्तु) अज्ञान से ज्ञान ढका हुआ है इससे सब जीव मोहित होते हैं।।