युञ्जन्नेवं सदाऽऽत्मानं योगी नियतमानसः।
शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति।।6.15।।
।।6.15।। इस प्रकार सदा मन को स्थिर करने का प्रयास करता हुआ संयमित मन का योगी मुझमें स्थित परम निर्वाण (मोक्ष) स्वरूप शांति को प्राप्त होता है।।
Lord Krishna uses the compound word nirvana-paramam meaning the supreme bliss which commences for an embodied being after the cessation of birth and death in the physical body in the material existence and the attainment of the eternal spiritual nature.