Download Bhagwad Gita 6.21 Download BG 6.21 as Image

⮪ BG 6.20 Bhagwad Gita Hindi Translation BG 6.22⮫

Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 21

भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 21

सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्।
वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः।।6.21।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 6.21)

।।6.21।।जो सुख आत्यन्तिक अतीन्द्रिय और बुद्धिग्राह्य है उस सुखका जिस अवस्थामें अनुभव करता है और जिस सुखमें स्थित हुआ यह ध्यानयोगी फिर कभी तत्त्वसे विचलित नहीं होता।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।6.21।। इन्द्रियातीत केवल (शुद्ध) बुद्धि के द्वारा ग्राह्य जो अनन्त आनन्द है उसे जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिसमें स्थित हुआ है यह योगी तत्त्व से कभी दूर नहीं होता है।।