अर्जुन उवाच
योऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन।
एतस्याहं न पश्यामि चञ्चलत्वात् स्थितिं स्थिराम्।।6.33।।
।।6.33।।अर्जुन बोले हे मधुसूदन आपने समतापूर्वक जो यह योग कहा है मनकी चञ्चलताके कारण मैं इस योगकी स्थिर स्थिति नहीं देखता हूँ।
।।6.33।। अर्जुन ने कहा हे मधुसूदन जो यह साम्य योग आपने कहा मैं मन के चंचल होने से इसकी चिरस्थायी स्थिति को नहीं देखता हूं।।