श्री भगवानुवाच
पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।
नहि कल्याणकृत्कश्िचद्दुर्गतिं तात गच्छति।।6.40।।
।।6.40।। श्रीभगवान् ने कहा हे पार्थ उस पुरुष का न तो इस लोक में और न ही परलोक में ही नाश होता है हे तात कोई भी शुभ कर्म करने वाला दुर्गति को नहीं प्राप्त होता है।।
There is no commentary for this verse.