अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम्।।6.42।।
।।6.42।।अथवा (वैराग्यवान्) योगभ्रष्ट ज्ञानवान् योगियोंके कुलमें ही जन्म लेता है। इस प्रकारका जो यह जन्म है यह संसारमें बहुत ही दुर्लभ है।
।।6.42।। अथवा (साधक) ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में जन्म लेता है परन्तु इस प्रकार का जन्म इस लोक में निसंदेह अति दुर्लभ है।।