जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये।
ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्।।7.29।।
।।7.29।।(टिप्पणी प0 442) जरा और मरणसे मोक्ष पानेके लिये जो मेरा आश्रय लेकर यत्न करते हैं वे उस ब्रह्मको सम्पूर्ण अध्यात्मको और सम्पूर्ण कर्मको भी जान जाते हैं।
।।7.29।। जो मेरे शरणागत होकर जरा और मरण से मुक्ति पाने के लिए यत्न करते हैं वे पुरुष उस ब्रह्म को सम्पूर्ण अध्यात्म को और सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं।।