मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।8.15।।
।।8.15।। परम सिद्धि को प्राप्त हुये महात्माजन मुझे प्राप्त कर अनित्य दुःख के आलयरूप (गृहरूप) पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते हैं।।
In this verse Lord Krishna praises that state of attainment itself. Attaining the Supreme Lord is solely the ultimate goal.