परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः।
यः स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति।।8.20।।
।।8.20।।परन्तु उस अव्यक्त(ब्रह्माजीके सूक्ष्मशरीर) से अन्य अनादि सर्वश्रेष्ठ भावरूप जो अव्यक्त है उसका सम्पूर्ण प्राणियोंके नष्ट होनेपर भी नाश नहीं होता।
।।8.20।। परन्तु उस अव्यक्त से परे अन्य जो सनातन अव्यक्त भाव है वह समस्त भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता।।