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Bhagavad Gita Chapter 8 Verse 25
भगवद् गीता अध्याय 8 श्लोक 25
धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः षण्मासा दक्षिणायनम्।
तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते।।8.25।।
हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद
।।8.25।। धूम रात्रि कृष्णपक्ष और दक्षिणायन के छः मास वाले मार्ग से चन्द्रमा की ज्योति को प्राप्त कर योगी (संसार को) लौटता है।।
Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary