तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।।8.7।।
।।8.7।।इसलिये तू सब समयमें मेरा स्मरण कर और युद्ध भी कर। मेरेमें मन और बुद्धि अर्पित करनेवाला तू निःसन्देह मेरेको ही प्राप्त होगा।
।।8.7।। इसलिए तुम सब काल में मेरा निरन्तर स्मरण करो और युद्ध करो मुझमें अर्पण किये मन बुद्धि से युक्त हुए निःसन्देह तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।