पिताऽहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।
वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक् साम यजुरेव च।।9.17।।
।।9.17।।(टिप्पणी प0 503) क्रतु मैं हूँ? यज्ञ मैं हूँ? स्वधा मैं हूँ? औषध मैं हूँ? मन्त्र मैं हूँ? घृत मैं हूँ? अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं हूँ। जाननेयोग्य? पवित्र? ओंकार? ऋग्वेद? सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ। इस सम्पूर्ण जगत्का पिता? धाता? माता? पितामह? गति? भर्ता? प्रभु? साक्षी? निवास? आश्रय? सुहृद्? उत्पत्ति? प्रलय? स्थान? निधान तथा अविनाशी बीज भी मैं ही हूँ।
।।9.17।। मैं ही इस जगत् का पिता? माता? धाता (धारण करने वाला) और पितामह हूँमैं वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ? पवित्र? ओंकार? ऋग्वेद? सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ।।