ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं
क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति।
एव त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना
गतागतं कामकामा लभन्ते।।9.21।।
।।9.21।। वे उस विशाल स्वर्गलोक को भोगकर? पुण्यक्षीण होने पर? मृत्युलोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार तीनों वेदों में कहे गये कर्म के शरण हुए और भोगों की कामना वाले पुरुष आवागमन (गतागत) को प्राप्त होते हैं।।
This verse clarifies in no uncertain terms that pandering to the demigods and canvassing of lesser gods have serious defects and limitations. Whereas worship and propitiation of the Supreme Lord Krishna is superior and the results are eternal.