अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप।
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि।।9.3।।
।।9.3।।हे परंतप इस धर्मकी महिमापर श्रद्धा न रखनेवाले मनुष्य मेरेको प्राप्त न होकर मृत्युरूपी संसारके मार्गमें लौटते रहते हैं अर्थात् बारबार जन्मतेमरते रहते हैं।
।।9.3।। हे परन्तप इस धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझे प्राप्त न होकर मृत्युरूपी संसार में रहते हैं (भ्रमण करते हैं)।।