मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्।।9.32।।
।।9.32।।हे पृथानन्दन जो भी पापयोनिवाले हों तथा जो भी स्त्रियाँ? वैश्य और शूद्र हों? वे भी सर्वथा मेरे शरण होकर निःसन्देह परमगतिको प्राप्त हो जाते हैं।