⮪ All भक्त चरित्र

भक्त श्रीराजेन्द्रसिंहजी की मार्मिक कथा
भक्त श्रीराजेन्द्रसिंहजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीराजेन्द्रसिंहजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीराजेन्द्रसिंहजी]- भक्तमाल


झालावाड़नरेश श्रीराजेन्द्रसिंहजी स्वभावसे ही अस्तिक भक्त थे। पाश्चात्त्य सभ्यता-प्रेमी पिताकी सन्तान होते हुए भी वे परम आस्तिक बने रहे। पिताके तत्त्वावधान में, इंग्लैंड में अंग्रेजी शिक्षा पाकर भी वे पके ईश्वर-निष्ठ व्यक्ति सिद्ध हुए। यही नहीं, अपितु उनके पिताजीका जो पृथ्वी- विलास हर्म्य एक दिन केवल सरस्वतीका ही मन्दिर था, बादमें वही इनकी अपूर्व ईश्वर-निशा से पूरा का पूरा उपासना गृह भी बन सका।ऐसे महाराजको हम अनन्य भक्त कहें या अनन्य राजा, यह समझमें नहीं आता। परंतु सच तो यह है कि वे दोनों ही थे। इनके जीवनमें इन दोनोंका ही समन्वय सामञ्जस्य संसारने देखा । असलमें ये भक्ति और कर्मके मूर्तरूप थे। इस विषयमें उनका यह कहना था

'एक भृत्य, जो स्वामीका काम तो अच्छा करता है परंतु उससे प्रेम नहीं करता - किंतु दूसरा स्वामीसे प्रेम तो करता है, परंतु काम अच्छा नहीं करता- इन दोनोंकीअपेक्षा वह तीसरा व्यक्ति समधिक अच्छा है, जो भक्त भी है और काम भी अच्छा करता है।' साथ ही वे यह भी कहा करते थे कि गीतामें स्वयं भगवान्ने इसी बातको इस तरह स्पष्ट किया है-

'तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।'

ईश्वर कृपासे उनका समस्त जीवन इसी तरह बीता। कार्यक्षेत्रमें वे प्रजाको वस्तुतः 'जनताजनार्दन' ही समझते थे और अपने-आपको उसका पुजारी। किंतु धीरे-धीरे उनकी श्रद्धा इतनी बढ़ी कि वे सम्पूर्ण जगत्‌को ही राममय देखने लगे और कहने लगे-

सीय राममय सब जग जानी।

करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥

वैसे भी मनुष्योचित गुणोंकी वे खान थे। आदर्श व्यवहार तो उनकी अपनी कुल परम्पराकी वस्तु थी । उनके पितामह महाराज श्रीछत्रसालजी तो इसके प्रतीक ही थे। पूज्य पिता श्रीभवानीसिंहजी महाराज भी इस दिशामें अपना सानी नहीं रखते थे। यही कारण था कि उनके सद्व्यवहारका सभीपर अच्छा असर था। जो भी एक बार उनसे मिला, जन्मभर उनकी प्रशंसा ही करता रहा।

त्याग - वैराग्यके तो वे मूर्त रूप ही थे। एक भी दीन-दरिद्र कभी इनसे निराश नहीं लौटा। उनके वैराग्यका प्रतीक 'रैन बसेरा' तो आजतक मौन भाषामें उनके वैराग्यकी कहानी सुना रहा है।

चरित्र - चारित्र्य तो उनकी अपनी पीढ़ियोंकी चीज थी। एकपत्नी-व्रतके तो वे साक्षात् आदर्श ही थे। युवावस्थामें विलायत रहते हुए भी वे लोकोत्तर चरित्रवान् |प्रमाणित हुए।"

सबसे बड़ी बात यह थी कि ये ईश्वर-निष्ठाके पक्के आदमी थे। जीवनभर बड़े-से-बड़े दुःखमें और नास्तिक वैज्ञानिकोंके सत्सङ्गमें भी उनकी ईश्वर-निष्ठामें नाममात्र भी शिथिलता नहीं आयी, प्रत्युत वह अधिकाधिक दृढ़ ही होती गयी

जस जस सुरसा बदन बढ़ावा तासु दून कपि रूप देखावा ।।।

वे न केवल कर्मयोगी भक्त थे, परंतु भक्त कवि भी थे। 'सुधाकर काव्य-कला' इसका ज्वलन्त प्रमाण है। उसको पढ़कर प्रत्येक पाठक यह समझे बिना न रहेगा कि उनका व्यक्तित्व भक्ति, कर्म, चरित्र और कवित्वका व्यक्तित्व था; किंतु उनका कवित्व ऋषि कल्प-सा था। झालावाड़की जनतापर अबतक उनके इसी व्यक्तित्वकी छाप है। आज भी वह उनके पद गा-गाकर उन्हें याद किया करती है। कविता प्रेमी उनके इन शब्दोंको तो कभी नहीं भूल सकते

तुमने मनको न विशुद्ध किया, अपने पुनि दोष मिटाये नहीं।

फिरते ही रहे नित नीचनमें करते छल नेक लजाये नहीं।

कहे क्या-क्या 'सुधाकर' आयंजनो, गत गौरव ध्यानमें लाये नहीं।

शतधा समझाया बुझाया तुम्हें, तब भी कुछ लक्खन आये नहीं।

आओ आओ जी कृष्ण प्यारे, जल्दी दरस दिखाओ ॥ टेक ॥

दर्शन का है प्यासा सुधाकर, आकर प्यास बुझाओ।

मधुर-मधुर वो टेर बाँसुरी मोहन बेग सुनाओ। आओ ।।

आता हूँ, अब आता हूँ, यों कहके मत कलपाओ।

श्याम सखे! भक्तोंको अपने चुटकीमें न उड़ाओ।

इत्यादि ॥ उनका स्वर्गवास भाद्र शुक्ला 3 सं0 2000 को हुआ। उस दिन वे सकुटुम्ब व्रती थे और मृत्युके कुछ देर पहलेतक भक्तिविषयक कुछ पद बना रहे थे।



You may also like these:



bhakt shreeraajendrasinhajee ki marmik katha
bhakt shreeraajendrasinhajee ki adhbut kahani - Full Story of bhakt shreeraajendrasinhajee (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt shreeraajendrasinhajee]- Bhaktmaal


jhaalaavaaड़naresh shreeraajendrasinhajee svabhaavase hee astik bhakt the. paashchaatty sabhyataa-premee pitaakee santaan hote hue bhee ve param aastik bane rahe. pitaake tattvaavadhaan men, inglaind men angrejee shiksha paakar bhee ve pake eeshvara-nishth vyakti siddh hue. yahee naheen, apitu unake pitaajeeka jo prithvee- vilaas harmy ek din keval sarasvateeka hee mandir tha, baadamen vahee inakee apoorv eeshvara-nisha se poora ka poora upaasana grih bhee ban sakaa.aise mahaaraajako ham anany bhakt kahen ya anany raaja, yah samajhamen naheen aataa. parantu sach to yah hai ki ve donon hee the. inake jeevanamen in dononka hee samanvay saamanjasy sansaarane dekha . asalamen ye bhakti aur karmake moortaroop the. is vishayamen unaka yah kahana thaa

'ek bhrity, jo svaameeka kaam to achchha karata hai parantu usase prem naheen karata - kintu doosara svaameese prem to karata hai, parantu kaam achchha naheen karataa- in dononkeeapeksha vah teesara vyakti samadhik achchha hai, jo bhakt bhee hai aur kaam bhee achchha karata hai.' saath hee ve yah bhee kaha karate the ki geetaamen svayan bhagavaanne isee baatako is tarah spasht kiya hai-

'tasmaatsarveshu kaaleshu maamanusmar yudhy cha.'

eeshvar kripaase unaka samast jeevan isee tarah beetaa. kaaryakshetramen ve prajaako vastutah 'janataajanaardana' hee samajhate the aur apane-aapako usaka pujaaree. kintu dheere-dheere unakee shraddha itanee badha़ee ki ve sampoorn jagat‌ko hee raamamay dekhane lage aur kahane lage-

seey raamamay sab jag jaanee.

karaun pranaam jori jug paanee ..

vaise bhee manushyochit gunonkee ve khaan the. aadarsh vyavahaar to unakee apanee kul paramparaakee vastu thee . unake pitaamah mahaaraaj shreechhatrasaalajee to isake prateek hee the. poojy pita shreebhavaaneesinhajee mahaaraaj bhee is dishaamen apana saanee naheen rakhate the. yahee kaaran tha ki unake sadvyavahaaraka sabheepar achchha asar thaa. jo bhee ek baar unase mila, janmabhar unakee prashansa hee karata rahaa.

tyaag - vairaagyake to ve moort roop hee the. ek bhee deena-daridr kabhee inase niraash naheen lautaa. unake vairaagyaka prateek 'rain baseraa' to aajatak maun bhaashaamen unake vairaagyakee kahaanee suna raha hai.

charitr - chaaritry to unakee apanee peedha़iyonkee cheej thee. ekapatnee-vratake to ve saakshaat aadarsh hee the. yuvaavasthaamen vilaayat rahate hue bhee ve lokottar charitravaan |pramaanit hue."

sabase bada़ee baat yah thee ki ye eeshvara-nishthaake pakke aadamee the. jeevanabhar bada़e-se-bada़e duhkhamen aur naastik vaijnaanikonke satsangamen bhee unakee eeshvara-nishthaamen naamamaatr bhee shithilata naheen aayee, pratyut vah adhikaadhik dridha़ hee hotee gayee

jas jas surasa badan badha़aava taasu doon kapi roop dekhaava ...

ve n keval karmayogee bhakt the, parantu bhakt kavi bhee the. 'sudhaakar kaavya-kalaa' isaka jvalant pramaan hai. usako padha़kar pratyek paathak yah samajhe bina n rahega ki unaka vyaktitv bhakti, karm, charitr aur kavitvaka vyaktitv thaa; kintu unaka kavitv rishi kalpa-sa thaa. jhaalaavaada़kee janataapar abatak unake isee vyaktitvakee chhaap hai. aaj bhee vah unake pad gaa-gaakar unhen yaad kiya karatee hai. kavita premee unake in shabdonko to kabhee naheen bhool sakate

tumane manako n vishuddh kiya, apane puni dosh mitaaye naheen.

phirate hee rahe nit neechanamen karate chhal nek lajaaye naheen.

kahe kyaa-kya 'sudhaakara' aayanjano, gat gaurav dhyaanamen laaye naheen.

shatadha samajhaaya bujhaaya tumhen, tab bhee kuchh lakkhan aaye naheen.

aao aao jee krishn pyaare, jaldee daras dikhaao .. tek ..

darshan ka hai pyaasa sudhaakar, aakar pyaas bujhaao.

madhura-madhur vo ter baansuree mohan beg sunaao. aao ..

aata hoon, ab aata hoon, yon kahake mat kalapaao.

shyaam sakhe! bhaktonko apane chutakeemen n uda़aao.

ityaadi .. unaka svargavaas bhaadr shukla 3 san0 2000 ko huaa. us din ve sakutumb vratee the aur mrityuke kuchh der pahaletak bhaktivishayak kuchh pad bana rahe the.

93 Views





Bhajan Lyrics View All

राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है

New Bhajan Lyrics View All

तेरा सजा दिया दरबार कान्हा जी बड़ा
प्यारा लगे बड़े प्यारा लगे...
मेरे घर में है देवा पधारे, देखो जागे
देवा तुम हो हमारे माता-पिता
हनुमान तेरे जैसा कोई लाल नहीं देखा,
कोई लाल नहीं देखा बलवान नहीं देखा,
हम आये तेरे द्वार भवानी जगदम्बे,
हम आये तेरे द्वार दया कर जगदम्बे...
तेरा सिमरन हर इक साँस करे,
तेरा नाम है जग मे सबसे परे,