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अब किसी महफिल में जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,

अब किसी महफिल में जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालो को मनाने,
की हमें फुर्सत नहीं ॥

एक दिल है जिसमे मेरा,
बस गया है सांवरा,
अब कही दिल को लगाने,
की हमें फुर्सत नहीं ।

​अब किसी महफिल मे जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालो को मनाने,
की हमें फुर्सत नहीं ॥

ये जो आंखे है हमारी,
मिल गयी है श्याम से,
अब कही आँखे मिलाने,
की हमें फुर्सत नहीं ।

​अब किसी महफिल मे जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालो को मनाने,
की हमें फुर्सत नहीं ॥

एक सर है झुक गया जो,
आपके दरबार में,
अब कही सर को झुकाने,
की हमें फुर्सत नहीं ।

​अब किसी महफिल मे जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालो को मनाने,
की हमें फुर्सत नहीं ॥


​अब किसी महफ़िल में जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालो को मनाने,
की हमें फुर्सत नहीं ॥



ab kisi mahphil me jaane,
ki hame phursat nahi,

ab kisi mahphil me jaane,
ki hame phursat nahi,
duniya vaalo ko manaane,
ki hame phursat nahi ..

ek dil hai jisame mera,
bas gaya hai saanvara,
ab kahi dil ko lagaane,
ki hame phursat nahi .

ab kisi mahphil me jaane,
ki hame phursat nahi,
duniya vaalo ko manaane,
ki hame phursat nahi ..

ye jo aankhe hai hamaari,
mil gayi hai shyaam se,
ab kahi aankhe milaane,
ki hame phursat nahi .

ab kisi mahphil me jaane,
ki hame phursat nahi,
duniya vaalo ko manaane,
ki hame phursat nahi ..

ek sar hai jhuk gaya jo,
aapake darabaar me,
ab kahi sar ko jhukaane,
ki hame phursat nahi .

ab kisi mahphil me jaane,
ki hame phursat nahi,
duniya vaalo ko manaane,
ki hame phursat nahi ..


ab kisi mahil me jaane,
ki hame phursat nahi,
duniya vaalo ko manaane,
ki hame phursat nahi ..







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