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तेरे बिना श्याम,
हमारा नहीं कोई रे,
सब रस रंग भरे है,
रामायण जी में,
हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर
हे संकट मोचन करते है वंदन,
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे,
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल,
तुम बिन रह्यो न जाय हो ॥
राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
प्रभु सोच लो जग तुम्हे क्या कहेगा,
अगर तेरा प्रेमी दुखड़े सहेगा,
कैसी यह देर लगाई दुर्गे, हे मात मेरी हे
ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे,
ऊँचा तेरा धाम,
रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार
सीता राम सीता राम,
सीताराम कहिये,
संसार के लोगों से आशा ना किया करना,
जब कोई ना हो अपना,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा,
सब धामों से धाम निराला,
श्री वृन्दावन धाम,
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होरी लागे ॥
शिव पूजा में मन लीन रहे,
मेरा मस्तक हो और द्वार तेरा ।
बस इतनी तमन्ना है,
बस इतनी तमन्ना है,
बाबा का दरबार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥
श्री बगलामुखी माता चालीसा
माँ कालरात्रि की आरती - कालरात्रि जय
अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,
जय हो, जय हो शंकरा
भोलेनाथ, शंकरा
कर दो दूर प्रभु,
मेरे मन में अँधेरा है,
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना ।
जिस दिल में आपकी याद रहे
प्रभु दिल मेरा वो दिल करदो
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम्
जरा चल के अयोध्या जी में देखो,
राम सरयू नहाते मिलेंगे ॥
जब जब भी तेरा प्रेमी,
आंसू कहीं बहाए,
म्हारा खाटू वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम,
राम नाम मधुबन का,
भ्रमर बना, मन शिव का।
राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
क्या क्या कमाया हमने,
आओ हिसाब कर ले,
कलयुग का देव निराला,
मेरा श्याम है खाटू वाला,
मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं
सखि चलो नंद के द्वार,
ओ द्वार,
राम का प्यारा है,
सिया दुलारा है,
अयोध्यावासी राम
दशरथ नंदन राम
इतनी किरपा सांवरे बनाये रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,
हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।
हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया
छोड़ी देहु आहे धनि छठी रे वरतिया
राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।
मेरे सरकार का,
दीदार बड़ा प्यारा है ।
क्यों छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत,
ओ मोटे मोटे नैनन के तू ,
ओ मीठे मीठे बैनन के तू
अहोई माता की आरती
मेरे बांके बिहारी लाल,
तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
श्री जानकीनाथ जी की आरती
राम जन्मभूमि पर जाकर,
जीत के दीप जलाएंगे,
बजरंग बलि बाबा तेरी महिमा गाते है,
नही संग कुछ लाये है, एक भजन सुनाते है,
मंत्र: निर्वाण षट्कम
तेरे भवन के अजब नज़ारे,
तेरे गूँज रहे जयकारे,
बैठ के तु पिंजरे में,
पंछी काहे को मुसकाय,
जो प्रेम गली में आए नहीं,
प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,
मेरो बांके बिहारी अनमोल रसिया ॥
नृसिंह भगवान की आरती
आदितमल के पक्की रे सड़कीया,
कुजडा छानेला दोकान,
कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,
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