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भई प्रगट कुमारी
भूमि-विदारी
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,
जरी की पगड़ी बांधे,
सुंदर आँखों वाला,
राम आ गए,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए ॥
दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम ।
श्री बृहस्पति देव की आरती
आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली
दामोदर अष्टकम
प्रभु हम पे कृपा करना,
प्रभु हम पे दया करना ।
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
भरी उनकी आँखों में है, कितनी करुणा
जाकर सुदामा भिखारी से पूछो
करने वंदन चरणों में बजरंगी,
दर पे हम तेरे रोज आएंगे,
दिल से जयकारा बोलो,
संकट में कभी ना डोलो,
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल,
सखी री बड़ो प्यारो है।
शम्भु स्तुति - नमामि शम्भुं पुरुषं
॥ दोहा ॥
सबदा मारा मर गया,
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं,
हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
करदो करदो बेडा पार,
राधे अलबेली सरकार ।
उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
दुनियाँ रचने वाले को भगवान कहते हैं,
और संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं।
श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले
हरि नाम के रस को पी पीकर,
आनंद में जीना सीख लिया,
एकादशी माता की आरती
घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,
शिवाष्ट्कम्: जय शिवशंकर, जय गंगाधर..
तेरे नाम का दीवाना,
तेरे द्वार पे आ गया है,
आंख फरुके बोले कागलियो,
म्हारो हरसे छे हिवड़ो आज,
मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,
राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,
श्री गायत्री चालीसा
श्री काशी विश्वनाथ अष्टकम: मंत्र
जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें,
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
मदन गोपाल शरण तेरी आयो,
चरण कमल की सेवा दीजै,
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
अगर प्यार तेरे से पाया ना होता,
तुझे श्याम अपना बनाया ना होता ॥
हो होली खेलत आज युगल जोड़ी
होली खेलत आज युगल जोड़ी, होली खेलत
जय राधे, जय कृष्ण, जय वृंदावन ।
श्री गोविंदा, गोपीनाथ, मदन-मोहन ॥
जय शनि देवा - श्री शनिदेव आरती
श्रद्धा रखो जगत के लोगो,
अपने दीनानाथ में ।
राम कहने से तर जाएगा,
पार भव से उतर जायेगा।
सारी दुनियां है दीवानी,
राधा रानी आप की,
[ तेरे दरबार का पाने नज़ारा,
मैं भी आया हू,
कर लूँगा दो-दो बात मैं,
उस काल के आगे,
श्री विष्णु स्तुति - शान्ताकारं
हर सांस मे हो सुमिरन तेरा,
यु बित जाये जीवन मेरा,
हर रोती हुई आँख को हंसा,
तेरी मेहरबानी होवेगी,
नर से नारायण बन जायें, प्रभु ऐसा ज्ञान
दुर्गा पूजा पुष्पांजली
श्रीनाथ बनके दीनानाथ बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
लागी लागी है लगन,
म्हाने श्याम नाम की,
आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
मन लेके आया,
माता रानी के भवन में
गुणवान मेरे गणपति बुद्धि के है दाता
है मेरे दाता सबके दाता भाग्यविधाता ।
मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना ।
हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
श्री विश्वकर्मा आरती- जय श्री
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