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हम लाड़ले खाटू वाले के,
हमें बाबा लाड़ लड़ाता है,
॥ भाग १ ॥
कल्पतरु पुन्यातामा,
प्रभु को अगर भूलोगे बन्दे,
बाद बहुत पछताओगे,
तू ही कन्हैया तू ही लखदातार है,
लखदातार है तू लीले का सवार है,
श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं
राधे राधे! जय श्री राधे राधे...
मैं तो अपने मोहन की प्यारी,
सजन मेरो गिरधारी,
मैंने रटना लगाई रे,
राधा तेरे नाम की,
शरण तेरी आयो बांके बिहारी,
शरण तेरी आयों बांके बिहारी ॥
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
आये शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम्
हनुमान चालीसा
श्री चित्रगुप्त जी की आरती - श्री
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे
भोले बाबा जी की आँखों के तारे
अपने भगत की,
आँख में आँसू,
भावयामि गोपालबालं
उड़े उड़े बजरंगबली, जब उड़े उड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली, जब उड़े उड़े,
आरती: ॐ जय महावीर प्रभु
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
देवी मढ़ देसाण री,
मेह दुलारी माय ।
हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है,
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ।
तुम्हारी जय हो वीर हनुमान,
ओ रामदूत मतवाले हो बड़े दिल वाले,
गुरु पादुका स्तोत्रम्
बड़ी आशा लगाए निहारे तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे,
बांटो बांटो मिठाई मनाओ खुशी,
मुँह मीठा करवाओ अवध वासियो ।
राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,
डोमिन बेटी सुप नेने ठाढ़ छै
उगऽ हो सुरुज देव,
राम लक्ष्मण के संग जानकी,
जय बोलो हनुमान की,
जय दुर्गे जय दुर्गे: मंत्र
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,
हे गिरधारी हे बनवारी,
नैया मझधार मेरी,
टूटी पतवार मेरी,
सत सृष्टि तांडव रचयिता - नटराज स्तुति
जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,
एक नज़र बस एक नज़र,
हम पे मोहन वार दे,
हे पुरुषोत्तम श्रीराम,
करूणानिधान भगवान ॥
मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
मेरे घनश्याम से तुम मिला दो,
मैं हूँ उनका यार पुराना,
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
मन में है विश्वास अगर जो,
श्याम सहारा मिलता है,
झूला पड्यो है कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी,
रखो हाथ ढाल तलवार मुठ मजबूती,
मुठ मजबूती ए धरदे रे जगदम्बा,
श्री गणेश आरती
काँच ही बाँस बसहर घरवा,
हे कदम जुड़े गाछ,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।
रामजी का मंदिर बनेगा धीरे धीरे
सरयू के तीरे, सरयू के तीरे
श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्
मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
संकटा माता आरती
मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
कार्तिकेय जी की आरती
दिया थाली बिच जलता है,
ऊपर माँ का भवन बना,
तेरी अंखिया हैं जादू भरी,
बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥
गोपाल गोकुल वल्लभे,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभं ।
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
श्री शनि अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली
काले काले बदरा,
घिर घिर आ रहे है,
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