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था बिन दीनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,
मैं तो तेरी हो गई श्याम,
दुनिया क्या जाने,
आरती: श्री रामायण जी
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम ।
चरण पादुका लेकर सब से पूछ रहे रसखान ॥
लिया नाम जिसने भी शिवजी का मन से,
उसे भोले शंकर ने अपना बनाया ।
श्री महालक्ष्मी अष्टक
आरती श्री भगवद् गीता
हे दयामय आप ही संसार के आधार हो।
आप ही करतार हो हम सबके पालनहार हो॥
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दत्ताची आरती
सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,
ओ सांवरे हमको तेरा सहारा है,
तेरी रहमतो से चलता,
तेरा दर मिल गया मुझको,
सहारा हो तो ऐसा हो ॥
श्लोक:
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी,
तू महलों में रहने वाली
मैं जोगी जट्टा धारी हूँ
अवध में छाई खुशी की बेला,
अवध में छाई खुशी की बेला,
शिव चालीसा
श्री नवग्रह चालीसा
श्री राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी
काजल टीको लगवा ले,
लुन राइ करवा ले,
हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ ।
आदि अंत मेरा है राम ।
उन बिन और सकल बेकाम ।
राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ।
जीवने मरणे गति आर नाहि मोर ॥
हरी नाम सुमिर सुखधाम,
हरी नाम सुमिर सुखधाम
श्री कृष्णाष्टोत्तरशत नामावलिः -
करो हरी का भजन प्यारे,
उमरिया बीती जाती हे,
नवग्रहस्तोत्र
श्याम खाटू वाले से,
मेरी पहचान हो गई,
बंसी बजाय गयो श्याम,
मोसे नैना मिलाय के,
श्री राम कथा की महिमा को,
घर घर में पहुँचाना है,
श्री चित्रगुप्त चालीसा
बता मेरे यार सुदामा रै,
भाई घणे दिना में आया ।
धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है।
दिये से दिये को जलाना पड़ेगा॥
तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे॥
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
आरती: सीता माता की
गजानन करदो बेड़ा पार,
आज हम तुम्हे मनाते हैं,
हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया
कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना,
दरबार हजारो देखे है,
पर माँ के दर सा कोई,
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी।
ज्योत जगा के, सर को झुका के,
गंगा अष्टोत्तर-शतनामस्तोत्र: नामावली
रहे संग तेरा नाम प्रभु,
हर पल मेरे जीवन में,
श्री सत्यनारायण जी आरती
बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
तुलसी विवाह मंगलाष्टक
सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
प्रनवउँ पवनकुमार,
खल बन पावक ग्यान घन,
हर बात को भूलो मगर,
माँ बाप मत भूलना,
हम सब मिलके आये,
दाता तेरे दरबार
शंकर के द्वारे चले काँवरिया
भोले के प्यारे चले काँवरिया
शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन ।
कृपालु बड़े हैं श्री श्याम सुन्दर,
कृपालु कृपा की बरसात कर दे,
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥
छोटी सी किशोरी, मोरे अंगना मे डोले रे
छोटी सी किशोरी, मोरे अंगना मे डोले रे
श्री गणेश मंत्र - गजाननं भूत गणादि
तेरे दरबार को यूँ सजाता रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आता रहूं,
हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो
देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो
अब किसी महफिल में जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,
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