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चार दिनों की प्रीत

चार दिनों की प्रीत जगत में चार दिनों के नाते है,
पलकों के पर्दे पड़ते ही सब नाते मिट जाते हैं,

जिनकी चिन्ता में तू जलता वे ही चिता जलाते हैं,
जिन पर रक्त बहाये जल सम जल में वही बहाते हैं,
पलकों के पर्दे पड़ते ही.....

घर के स्वामी के जाने पर घर की शुद्धि कराते है,
पिंड दान कर प्रेत आत्मा से अपना पिंड छुडाते हैं,
पलकों के पर्दे पड़ते ही....

चौथे से चालीसवें दिन तक हर एक रस्म निभाते है,
मृतक के लौट आने का कोई जोखिम नही उठाते है,
पलकों के पर्दे पड़ते ही......

आदमी के साथ उसका खत्म किस्सा हो गया,
आग ठण्डी हो गई चर्चा भी ठण्डा हो गया,
चलता फिरता था जो कल तक बनके वो तस्वीर आज,
लग गया दीवार पर, मजबूर कितना हो गया



chaar dino ki preet jag me

chaar dinon ki preet jagat me chaar dinon ke naate hai,
palakon ke parde padate hi sab naate mit jaate hain


jinaki chinta me too jalata ve hi chita jalaate hain,
jin par rakt bahaaye jal sam jal me vahi bahaate hain,
palakon ke parde padate hi...

ghar ke svaami ke jaane par ghar ki shuddhi karaate hai,
pind daan kar pret aatma se apana pind chhudaate hain,
palakon ke parde padate hi...

chauthe se chaaleesaven din tak har ek rasm nibhaate hai,
maratak ke laut aane ka koi jokhim nahi uthaate hai,
palakon ke parde padate hi...

aadami ke saath usaka khatm kissa ho gaya,
aag thandi ho gi charcha bhi thanda ho gaya,
chalata phirata tha jo kal tak banake vo tasveer aaj,
lag gaya deevaar par, majaboor kitana ho gayaa

chaar dinon ki preet jagat me chaar dinon ke naate hai,
palakon ke parde padate hi sab naate mit jaate hain




chaar dino ki preet jag me Lyrics





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