पावन है सबसे ऊँचा है साँचा है ये दरबार कलयुग में भी होते है जहाँ रोज़ चमत्कार, ले आंबे नाम चल रे, चल ? पावन है सबसे ऊँचा है साँचा है ये दरबार कलयुग में भी होते है जहाँ रोज़ चमत्कार, ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ सुन्दर से माँ के धाम की महिमा कमाल है, मंदिर यह देवी माँ का सबसे विशाल है। पर्वत त्रिकूट के शीश पे माता का सिंहासन, जैकारे माँ के बोल के चलती यहाँ पवन। अम्बर के बादल देते है माता को सलामी, पहरा दे हनुमान और भैरव करते निगरानी। दर्शन की सबके भाग में घड़ियाँ नहीं आती, दर्शन उन्हें मिलता जिन्हे माँ भेजती बाती। द्वारे पे माँ के लगती लम्बी कतार है, दर्शन कब होगा सबको इंतज़ार है। जीवन है जिसका नाम वह है कच्चा सा धागा, जो माँ के द्वारे जा न सके वह है अभागा। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ सूरज की पहली किरण होती है जो सिंधुरी, कहती है पता माँ को है मजबूरियाँ तेरी । क्या सोच रहा तू कि यह पैसा है जरूरी, पैसे ने बना राखी है माँ-बेटे में दूरी। इस पाप कि गठरी को परे रख के तू आजा, आजा तू खुला है भवानी माँ का दरवाज़ा। मील अठ्ठाराह यह जम्मू से दूर है, दर्शन जो माँ का पहला जग में मशहूर है । कन्याओं के संग माता यहाँ खूब थी खेली, इस स्थान को कहते है भक्तों कौली-कंदौली। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ यहाँ से चार मील जब आगे जाओगे, दर्शन जो माँ का दूजा है उसको पाओगे। दुर्गा कि एक भक्त जिसका नाम था देवा, करती थी सच्चे मन से सदा मैया कि पूजा। दर्शन उसे देने को इक दिन आयी थी माई, तब से यह जगह बन गई भक्तो देवामायी। रस्ता बताऊँ सबको तेरा वैष्णो रानी, हो जाये कोई भूल क्षमा करना भवानी। माता कि जय-जयकार होती कटरा धाम पे, होती यहाँ सुबह है जय माता के नाम से । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ गिनता नहीं जो राह में कितनी लगी ठोकर, जाता है माँ के द्वार से वो झोलियाँ भरकर। तुम यात्रा से पूर्व यहाँ पर्ची कटना, जयकारा माँ का बोल के फिर यात्रा करना। पर्ची जो कटाई है इसे ध्यान से रखना, ऊपर भी जांच होगी इसे खो नहीं देना । बच्चे है छोटे, वृद्ध या ना जा सके चलकर, उनके लिए मिलते है यहाँ भाड़े पे खच्चर। खच्चर पे भी न बैठ सके जिसकी अवस्था, उनके लिए यहाँ है पालकी कि व्यवस्था। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ कटरा से थोड़ी दूर है मशहूर ये मंदिर, कहते है सारे इसको यहाँ भूमि का मंदिर। माता के परम भक्त जिनका नाम था श्रीधर, करते थे माँ का ध्यान सुबह-शाम जो अक्सर। रहता था उनके मुख में सदा मैया का वर्णन, कन्या का रूप धार दिए माता ने दर्शन। कहने लगी कर भक्त भंडारे का आयोजन, आस-पास जाके दे आ सबको निमंत्रण। देने निमंत्रण भोज का वो सबको चल पड़े, रस्ते में भैरव संग कुछ साधू उन्हें मिले। बोले श्रीधर, हे! बाबा कल मेरे घर आना, भंडारा माँ का कर रहा हूँ भूल ना जाना । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ अगले दिन प्रातः काल से श्रीधरजी के घर पर, आकर इकठ्ठा होने लगी भीड़ भवन पर। भैरो नाथ आये, गौरख नाथ जी आये, दोनों के संग उनके कई शिष्य भी आये। भोजन मिलेगा आज सभी जन थे प्रसन्नचित्त, किन्तु बिना कन्या के हुए श्रीधर चिन्तित। इतने में लिए हाथ कमंडल माँ पधारी, वो दिव्य कन्या लग रही थी सबको ही प्यारी। देने लगी कमंडल से सबको वो भोजन, ये देखकर के श्रीधरजी का प्रसन्न हो गया था मन। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ आयी वो देने भोजन जब भैरव के पास, वो कहने लगा चाहिए मदिरा व मुझे मांस। बोली वो कन्या, योगी जी ब्राह्मण के द्वार से, जो कुछ भी आपको मिला स्वीकारो प्यार से । कन्या को पकड़ने लगा वो विनती न माना, कन्या भी हो गई तुरंत तब अन्तर्ध्याना । देखा उसे भैरव ने अपने विद्या-योग से, वो पवन-रूप धार चली त्रिकूट ओर है। इस दिव्य कन्या को चला तब भैरव पकड़ने, वो मूढ़-मति उसका पीछा लगा करने । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ ये भूमि का मंदिर वही तो स्थान है, भोजन खिलाया सबको कन्या रूप मात ने । यहाँ से डेढ़ मील जब आगे जाओगे, तो रास्ते में दर्शनी दरवाज़ा पाओगे। माँ के भवन का मिलता यहाँ पहला नज़ारा, सब भक्त लगते है यहाँ आके जयकारा। माता का भैरव नाथ ने जब पीछा किया था, उस वक्त माँ के साथ-साथ वीरलंगूर था। जिस जगह के प्यास ने लंगूर को सताया, माता ने पथरो में यहाँ तीर चलाया। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ लगते ही बाण निकली जो जल कि धरा, वो धरा यही है जिसे कहते बाण गंगा । माता ने इसमें केश धोके उनको संवारा, इस कारण इसका नाम दूजा है बाल गंगा। आगे जो चलोगे रोम-रोम खिलेगा, बाण गंगा से जो पार करे पुल वो मिलेगा। पुल के करीब ही है एक माता का मंदिर, करते है कई भक्त यहाँ स्नान भी रूककर । होता है यहाँ से ही शुरू सीढ़ी का रास्ता, इसकी बगल से जा रहा इक कच्चा भी रास्ता। माँ अम्बे नाम लेके पौढ़ी-पौढ़ी चढ़ो जी, शर्माओ न सब मिलके जय माता की कहो जी। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ माता कि धुन में खोके के जो चलता चला गया, बिन मांगे माँ के द्वारे से मिलता चला गया । होगा यह चमत्कार भी मैया के नाम से, जैसे चढ़ाये पौड़ी माँ बाँहों को थाम के । आता है वो स्थान जहाँ माँ के श्रीचरण, इक शिला पर बने है छू लो यह श्रीचरण। माता ने पीछे मुड़कर इस स्थान से देखा, इस कारन इसको कहते है चरण-पादुका। भैरो है कितनी दूर यह अंदाज़ा लगाया, फिर इसके बाद माँ ने कदम आगे बढ़ाया। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ है आदि-भवानी माँ शक्ति चमत्कारी, जिसने यह चरण छू लिए तकदीर संवरी । मस्तक झुकालो प्रेम से भक्तो चले आओ, जो कुछ भी चाहते हो माँ के द्वार से पाओ। आएगा भवन जिसकी बड़ी शान है नियरी, इस स्थान को कहते है सभी आधकुंवारी । गर्भजून जिसका नाम है वोह गुफा यही है, भवानी माँ इस गुफा में नौ माह रहीं है । जैसे ही भैरो नाथ गुफा द्वार पर आया, तब सामने उसने लंगूर वीर को पाया । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ करने लगा लंगूर युद्ध भैरव नाथ से, पर्वत भी जिसको देख लगे भय से कांपने । लंगूर ने लाख रोका भैरव बाज़ न आया, तब माँ ने तंग आके त्रिशूल चलाया। जाकर के शीश उसका गिरा दूर घाटी में, और धढ़ उसका आन गिरा माँ के चरण में। तब भैरो यह कहने लगा के हे !महामाया, हाथों से तेरे अंत हुआ चण्ड का माया । होते कपूत पूत पर न माता कुमाता, करदे मुझे क्षमा हे! जगदीश्वरी माता। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ तूने क्षमा किया न तो मैं पापी रहूंगा, और आदिकाल सबकी ही निंदा सहूंगा। उसके वचन से माता का दिल-ही पिघल गया, करुणा वाली के मुख से वचन यह निकल गया। करती हूँ क्षमा आज तेरे पाप मैं भारी, देती हूँ वचन तू बनगे मोक्ष अधिकारी। आते समय जब लोग मेरी पूजा करेंगे, मेरी पूजा के बाद तेरी पूजा करेंगे । तूने मुझे माता कहा है जग भी कहेगा, बच्चो के जैसा सबसे मेरा नाता रहेगा। दर्शन के मेरे बाद जो न तुझको पूजेगा,उसको मेरे दर्शन का कभी फल न मिलेगा। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ पर्वत है एक और दूजी और है खाई, चढ़ना ज़रा संभल हाथी माथे की चढ़ाई । परेशान न होना तू देख पाँव के छाले, कष्टों से ही खुलते है नसीबो के भी ताले। चढ़कर के जो हाथीमत्थे से जब पार आओगे , तुम भक्तो खुद को सांझी-छत पे पाओगे । भक्तो है शुरू होती उतराई यहाँ से, जिव्हा करेगी माँ की जैकारे यहाँ से । आता है इसके बाद वोह द्वार आनेका हमे, मीलो चले आये है सब जिसकी चाह में । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ कुछ खालो-पीलो थोड़ा सुस्तालो कुछ घड़ी, दर्शन की आने वाली है पवन वो शुभ घड़ी। दर्शन से पहले करलो स्नान यहाँ पर, रुक जाती जैसे सांस शीतल जल पड़े तन पर । स्नान जिनमे किया वे सब वस्त्र त्याग दे, कोरे जो वस्त्र पास में है वोह तन पे धारले। अबतक नहीं गए है वो ध्यान दे इस पर, मिलता है यहाँ दर्शन का आपको नंबर । भक्तो के लिए कमरे बने यहाँ आरक्षित, सामान जमा होता जहाँ सबका सुरक्षित । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ कुछ ऐसा नज़ारा है , थकते नहीं नयन, लगता है स्वर्ग जैसा अम्बे तेरा भवन। मिलती है भवन पे सारी पूजा की सामग्री , लहरा रही है हर तरफ लाल ही चुनरी । मैया की चुनरी है प्रेम से तुम सिर पे बाँध लो, और नारियल बहार ही अपना जमा करो । मंदिर के बाहर भक्तो की लगती लम्बी क़तार है ,बारी कब आएगी सबको यह इंतज़ार है। संकरा है भवन द्वार बढ़ो आधा लेटकर,यह द्वार ही है भैरो का शीश कटा धढ़ । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ पिंडी दरश से पहले भी एक स्थान पर, पंजे बने है शेर के एक शिला पर। आता है अब वो दृश्य मैं कैसे करू वर्णन, होता है पिंडी रूप में महामाई का दर्शन । आदर से माथा टेकना तुम माँ के चरण पर, खुलने में नसीबा नहीं लगता है प भर । पूजसामग्री लाये हो वो सारी चढ़ा दो, जिस-जिस का चढ़ावा है उसे आदर से चढ़ा दो। बैठी है काली माता सरस्वती साथ में, जलती है माँ की ज्योति बिना तेल बाटी के। माँ करती क्षमा छोटी-बड़ी साड़ी भूल भी, इक और धरा देखोगे माँ का त्रिशूल भी । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ अब माँ की आज्ञा को है हमने निभाना, दर्शन के लिए भैरो के मंदिर भी है जाना । मिलते है पुष्प मिलती धूपः बाती है यहाँ, काला धागा भी मिलता है भैरो नाम का यहाँ । घाटी में दूर जाके बना भैरव का मंदिर, मंदिर में पड़ा है भैरव का कटा हुआ सिर । श्रद्धा दे धुप बाती भैरव पे चढ़ाना, आदर से हाथ जोड़ के तुम सिर को झुकाना। माता के पुण्य धाम की यह यात्रा सारी, पूरी करे भवानी मैया कामना तेरी। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -४ पावन है सबसे ऊँचा है साँचा है ये दरबार कलयुग में भी होते है जहाँ रोज़ चमत्कार ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ अब बात सुनो त्रेता युग की एक पुरानी, इतिहास है आंबे माँ की सच्ची कहानी । माँ ने कहा है दानव जब सिर उठाएंगे, तब-तब मेरे हाथो से वो मुँह की खाएंगे । ये उस समाये की बात है, जब रावण कुम्भकरण, उपद्रव मचा रहे थे ताड़का और खरदूषण। तब भगवती की शक्तियां एकत्र हो गयी, फिर जिनके योग से इक शक्ति प्रकट हुई। माँ भगवती की शक्तियों से शक्ति जो आयी, उसे देख के प्रसन्न हुई वैष्णो माई । बोली वो शक्ति मात बता क्यों है बुलाया, वो काज बता जिसके लिए मुझको जन्माया। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ बोली ये भवानी अब अपना काज तुम सुनो,तुम धर्म का प्रचार और रक्षा तुम्ही करो । देवी ने विष्णु-अंश से तब जन्म ले लिया, राजा सागर ने नाम उसका रखा त्रिकुटा । इस कन्या ने तब वैष्णव धर्म शुरू किया,हर और जाके धर्म का प्रचार खुद किया । थोड़े-ही समय बाद यह प्रसिद्ध हो गयी, अपार सिद्धियों से वो सम्पन हो गयी । आते थे भक्त दूर से दर्शन के वास्ते, संकट से बचने के ये बताती थी रास्ते । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ एक दिन वोह लेके आज्ञा अपने पिता से, करने लगी तपस्या सागर के तट पे । एक दिन उसे भवानी दर्शन दे बोली, तू राम नाम रटले अब सुनले वैष्णवी। तब देवी तप करने लगी राम नाम का, बस मुख में सुबह-शाम उसके राम नाम था। सीता हरण के बाद संग वानर सेना के, आये पड़ाव डालने राम सागर के तट पे । देवी ने कहा साधना जप-तप मेरा है राम, करती हूँ प्रभु आपको मैं शत-शत प्रणाम । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ कहने लगी पति है मैंने आपको चुना, इस कारण कर रही हूँ प्रभु मैं यह तपस्या । बोले ये राम बात सुनो मेरी हे देवी!, इस जन्म में पहले ही है सीता मेरी पत्नी । किन्तु तुम्हारे तप का फल तुम को मिल सके, आऊंगा बदल भेष मैं पास तुम्हारे । देवी अगर जो तुम मुझे पहचान जाओगी , इस जन्म में तुम मेरी पत्नी कहाओगी। तब राम चल पड़े देवी को बोलके ऐसा, और राम-नाम जपने लगी देवी त्रिकुटा। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ लंका को जीत राम दिए एक उदाहरण, लौटे तो रूप किये एक साधु का धारण । सन्मुख गए त्रिकुटा देवी के वोह घडी आयी, पर देवी इस भेष में पहचान न पायी । कहने लगी हे महात्मा! आप कैसे पधारे, किस कारण आये है जोगन के द्वारे। तब राम जी ने असली रूप अपना दिखाया, सब भाग्य की करनी है इसे किसने मिटाया । कहने लगे तब राम सुनो देवी! वैष्णवी, कलयुग में बनोगी तुम्ही पत्नी हमारी । यह कथा हमे देती इस बात की शिक्षा, लेता है समय आके ऐसी सबकी परीक्षा। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ आऊँगा कल्कि रूप में पृथ्वी पे दूबारा, तब नाम जुड़ेगा मेरे ही साथ तुम्हारा । हर और डंका बजता तेरे नाम का होगा, कलयुग में तेरा नाम माता वैष्णो होगा। तब से ही देवी माता यहाँ तप में लीन है, सारा ही ब्राह्मण जो उनके अधीन है। करती है अपनी लीला अक्सर वो निराली, गौरी ,कभी दुर्गा, कभी मनसा, कभी काली। नैना है, चिंतपूर्णी, बृजेश्वरी माता, ज्वाला है, चामुंडा है, शाखाम्भारी माता । ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ दुर्गा के जाप में जो कोई ध्यान लगा ले, माँ खोल देती उसके मुकदर के ही ताले। अब तुमको सुनते है कथा मात ज्वाला की, मंदिर का जिसके दृश्य है सबसे निराला जी। जलती है नौ रूपों में मेरी मैया की ज्योति, लौ ज्योति की मगर कभी भी काम नहीं होती। यह बात पुरानी है यहाँ एक था राजा,रहती थी जिसके राज में सुखी सभी प्रजा। एक रोज़ इक ग्वाले ने आके उसको बताया, पर्वत पे ज्योति जलती है फिर उसको सुनाया। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ तब रात को देवी ने चमत्कार दिखाया, सोया जब राजा उसके स्वप्न में आया। कहने लगी हे राजन यहाँ मेरी जिव्हा गिरी, इस कारण जलती है यहाँ दिव्या ज्योति। स्थान यही है मेरा तू मुझको जगा दे, मंदिर तू मेरे नाम का छोटा-सा बना दे । तब राजा ने ज्वाला का मंदिर था बनाया, की पूजा-अर्चना छत्र माँ पे चढ़ाया। वनवास में अपने पांडव यहाँ पे आये, पूजा उन्होंने माँ को, अर्जुन चवर डुलाये। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ मशहूर हो गया तभी से ज्वालाजी का नाम ,भक्तो के आप बनने लगे सारे बिगड़े काम। ध्यानु ने ज्वाला माँ पे अपना शीश चढ़ाया, माता ने प्रकट होके तुरंत उसको जिलाया। बोली ये अम्बे माता कोई वर तू मांग ले, बोले ये ध्यानु कर गया तू हे मेरी माते। हर आदमी का मोह जीवन से हट नहीं सकता, हर कोई तुझे शीश भेंट कर नहीं सकता । जो नारियल चढ़ाये माँ उसकी भी प्रार्थना, मैं विनती यह करता हूँ मैंया प्यार से सुनना। बोली ये देवी जो मुझे नारियल चढ़ाएगा, वो भक्त अपनी पूजा का फल पायेगा। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ मंदिर की पहली ज्योत जो है, महाबली है यह, भक्तो को अपने कष्टों से मुक्ति दिलती यह। दूजी जो ज्योत है वो माता महामाया, विख्यात इसका नाम है वो अन्नपूर्णा। तीजी जो ज्योत माँ की है वो चंडी है माता, सब शत्रुओं का नाश इसके नाम से होता। चौथी जो ज्योत है वो हिंगलाज भवानी, हर बाधा टाल देती है माँ भाग्य की रानी। पांचवी जो ज्योत है वो विंध्यवासिनी माँ है, पापो से मुक्त करती मुक्तदायिनी माँ है। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ छठी जो ज्योत है वो महालक्ष्मी की है, यह मैया धन-धान्य सुख वैभव देती है। सातवीं जो ज्योत है वो विद्यादायिनी सरस्वती, यह मूढ़ को भी पल में विद्वान् है करती। यह झूठ नहीं सच है विश्वास तुम करो, न मानते तो कालिदास याद तुम करो। पत्नी से निंदा पाके की शारदा पूजा, था मूढ़मति लेकिन विद्वान् वो हुआ। आठवीं जो ज्योत है वो माता अम्बिका की है, अंतिम जो ज्योत है वो माता अंजनी की है। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ जहाँ सती के अंग गिरे शिव भी वहाँ है, शिव भी वही रहते उसकी शक्ति जहाँ है। जिस रूप में भी शिव ने अवतार लिया है, इतिहास साक्षी है माँ ने साथ दिया है। महाकाल अवतार में महाकाली माँ बनी, तारकेश्वर अवतार में वो तारा माँ बनी। भुवनेश्वर अवतार में भुवनेश्वरी बनी, षोडश बने जो शिव माता षोडशी बनी। भैरव बने जो शिव माता बनी भैरवी, छिन्मस्तिक अवतार में छिन्मस्तिका बनी। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ इस युग में भवानी के नौ मुख्य है दरबार, जाते है भक्त जिनमे हर दिन ही बार-बार । नैना देवी ,चिंतपूर्णी है, ज्वालामुखी है, बृजेश्वरी, वैष्णो मैया, चामुंडा देवी है । मनसा देवी, शाकम्बरी और कलिका देवी, भक्तो की अपने कामना को पूर्ण कर देती। नवरात्रों में लगता है यहाँ भक्तो का मेला, जय रोहिणी, जय सुभद्रा, तेरी जय हो माँ कैला। तू शक्ति का अवतार है महिमा तेरी न्यारी, मशहूर है जग में तेरी शेरो की सवारी । जो पूजा तेरी करके कंजको को बिठाता, वो भक्त जीवन सागर से है पार हो जाता। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ सती के शव के टुकड़े विष्णु ने थे जब किये, जिन स्थानों पे वो शक्ति पीठ बन गए । कलकत्ते तेरे केश गिरे कलिका बनी, आसाम गिरा मुख तेरा कुमख्या बनी। जहाँ शीश गिरा तेरा शाखाम्बरी बनी, जिस पर्वत तेरे नयन गिरे नैना माँ बनी। जहाँ चरण गिरे तेरे चिंतपूर्णी बनी, ज्वाला जी जिव्हा गिरी ज्वाला माँ बनी। त्रिकूट पे तेरे बाजू गिरे वैष्णो माँ बनी, जहाँ हाथ गिरे तेरे हिंगलाज तू बनी।। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ अकबर ने सोने का तुझे था छत्र चढ़ाया, तूने माँ अहंकार का अहंकार मिटाया। करती है अपने भक्तों के माँ पुरे तू सपने, समझे किसी को गैर नहीं सब तेरे अपने। तू अपने भक्तो की सदा ही लाज बचती, धन्ना का पत्थर तू पानी में तिराती । करते रहे सदा हम माँ वंदन तेरा, सताक्षी रूप से होता माँ पूजन तेरा। जिसने जो माँ से माँगा मेरी माँ ने है दिया, भक्तो को माँ के दर से सदा प्यार है मिला। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ बंधनो से मुक्त करती भवमोचिनी माता, भव्या है तू ,अनंता है, कात्यायिनी माता। है अष्टभुजा माता मेरी रूप निराला, केशो में अँधेरा माँ की पलकों उजाला। धरती पे अन्याय ने जब उठके पुकरा, मैया ने रक्तबीज से दानव को है मारा। महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ ने ज़ुल्म जो ढाया, माँ आगे बढ़ी पल में इन्हे मार गिराया। मेरी लाटावाली, ज्योता वाली, शेरा वाली माँ, मेरी करुणा वाली, मेहराँ वाली, मंदरावाली माँ। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ जिस घर में माँ की ज्योत जली है संवर गया, उपवासव्रत जो माँ का करे समझो तर गया । हर लेती सबके मन की हर-इक पीड़ा भवानी, करती है भिखारी को राजा क्षण में कल्याणी। आये है पहली बार मैया तेरे द्वार पे, बलिहारी है भवानी माँ हम तेरे प्यार पे। नैनो में बस गयी है तेरी प्यारी सी सूरत, और दिल में रम गयी है तेरी मोहिनी मूरत। धन-धान्य से यह तेरा घरभार भरेगी, पैसो की माँ धन-लक्ष्मी बौछार करेंगी। मैया तेरे दरबार में मन सबका खो गया, आया जो वैष्णो धाम भवानी का हो गया। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ हो माता अम्बे आपका आवाहन न जाने, पूजा विधि हम आपकी नादान न जाने। पापी है पाप करते है करते नहीं है जाप, हमने सुना है पाप की हर्ता है मैया आप। इक आप हो भलाई में जीवन लगा दिया, इक हम है बस बुराई में सब कुछ गवा दिया। पूजा हमारी जैसी है स्वीकार कीजिए,सब दूर बुरे यह मन के ये विचार कीजिये। भूले हमारी भूल जाना जग की पालनहार, आये शरण तिहारी मैया अब लगा दो पार। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ जिसने हमे भवानी माँ का मार्ग दिखाया, आभारी है जिसने भी कथा सार सुनाया । उन वेदो-पुराणों को करते है हम नमन, जिनसे मिली है हमको वैष्णो यात्रा की उमंग। कोशिश हमारी यह है भरे आप में लगन, नौ देवियों का दर्शन करे आप भी श्रीमन। पूजा-विधि की रस्मो से हम अनजान है, अज्ञानी है हम आप सब तो बुद्धिमान है। करते है यही विनती सबसे हाथ जोड़कर, कुछ छूट गया हो तो देना माफ़ हमे कर। ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ ले आंबे नाम चल रे, चल वैष्णो धाम चल रे -२ le ambe naam chal le le vashino naam chal re paavan hai sabase ooncha hai saancha hai ye darabaar kalayug me bhi hote hai jahaan roz chamatkaar, le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re sundar se ma ke dhaam ki mahima kamaal hai, mandir yah devi ma ka sabase vishaal hai parvat trikoot ke sheesh pe maata ka sinhaasan, jaikaare ma ke bol ke chalati yahaan pavan ambar ke baadal dete hai maata ko salaami, pahara de hanuman aur bhairav karate nigaraanee darshan ki sabake bhaag me ghadiyaan nahi aati, darshan unhen milata jinhe ma bhejati baatee dvaare pe ma ke lagati lambi 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dekha use bhairav ne apane vidyaayog se, vo pavanaroop dhaar chali trikoot or hai is divy kanya ko chala tab bhairav pakadane, vo moodahamati usaka peechha laga karane le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re ye bhoomi ka mandir vahi to sthaan hai, bhojan khilaaya sabako kanya roop maat ne yahaan se dedah meel jab aage jaaoge, to raaste me darshani daravaaza paaoge ma ke bhavan ka milata yahaan pahala nazaara, sab bhakt lagate hai yahaan aake jayakaaraa maata ka bhairav naath ne jab peechha kiya tha, us vakt ma ke saathasaath veeralangoor thaa jis jagah ke pyaas ne langoor ko sataaya, maata ne ptharo me yahaan teer chalaayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re lagate hi baan nikali jo jal ki dhara, vo dhara yahi hai jise kahate baan gangaa maata ne isame kesh dhoke unako sanvaara, is kaaran isaka naam dooja hai baal gangaa aage jo chaloge romarom khilega, baan ganga se jo paar kare pul vo milegaa pul ke kareeb hi hai ek maata ka mandir, karate hai ki bhakt yahaan snaan bhi rookakar hota hai yahaan se hi shuroo seedahi ka raasta, isaki bagal se ja raha ik kachcha bhi raastaa ma ambe naam leke paudaheepaudahi chadaho ji, sharmaao n sab milake jay maata ki kaho jee le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re maata ki dhun me khoke ke jo chalata chala gaya, bin maange ma ke dvaare se milata chala gayaa hoga yah chamatkaar bhi maiya ke naam se, jaise chadahaaye paudi ma baanhon ko thaam ke aata hai vo sthaan jahaan ma ke shreecharan, ik shila par bane hai chhoo lo yah shreecharan maata ne peechhe mudakar is sthaan se dekha, is kaaran isako kahate hai charanapaadukaa bhairo hai kitani door yah andaaza lagaaya, phir isake baad ma ne kadam aage badahaayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re hai aadibhavaani ma shakti chamatkaari, jisane yah charan chhoo lie takadeer sanvaree mastak jhukaalo prem se bhakto chale aao, jo kuchh bhi chaahate ho ma ke dvaar se paao aaega bhavan jisaki badi shaan hai niyari, is sthaan ko kahate hai sbhi aadhakunvaaree garbhajoon jisaka naam hai voh gupha yahi hai, bhavaani ma is gupha me nau maah raheen hai jaise hi bhairo naath gupha dvaar par aaya, tab saamane usane langoor veer ko paayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re karane laga langoor yuddh bhairav naath se, parvat bhi jisako dekh lage bhay se kaanpane langoor ne laakh roka bhairav baaz n aaya, tab ma ne tang aake trishool chalaayaa jaakar ke sheesh usaka gira door ghaati me, aur dhadah usaka aan gira ma ke charan me tab bhairo yah kahane laga ke he !mahaamaaya, haathon se tere ant hua chand ka maayaa hote kapoot poot par n maata kumaata, karade mujhe kshma he! jagadeeshvari maataa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re toone kshma kiya n to mainpaapi rahoonga, aur aadikaal sabaki hi ninda sahoongaa usake vchan se maata ka dilahi pighal gaya, karuna vaali ke mukh se vchan yah nikal gayaa karati hoon kshma aaj tere paap mainbhaari, deti hoon vchan too banage moksh adhikaaree aate samay jab log meri pooja karenge, meri pooja ke baad teri pooja karenge toone mujhe maata kaha hai jag bhi kahega, bachcho ke jaisa sabase mera naata rahegaa darshan ke mere baad jo n tujhako poojega,usako mere darshan ka kbhi phal n milegaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re parvat hai ek aur dooji aur hai khaai, chadahana zara sanbhal haathi maathe ki chadahaaee pareshaan n hona too dekh paanv ke chhaale, kashton se hi khulate hai naseebo ke bhi taale chadahakar ke jo haatheematthe se jab paar aaoge , tum bhakto khud ko saanjheechhat pe paaoge bhakto hai shuroo hoti utaraai yahaan se, jivha karegi ma ki jaikaare yahaan se aata hai isake baad voh dvaar aaneka hame, meelo chale aaye hai sab jisaki chaah me le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re kuchh khaalopeelo thoda sustaalo kuchh ghadi, darshan ki aane vaali hai pavan vo shubh ghadee darshan se pahale karalo snaan yahaan par, ruk jaati jaise saans sheetal jal pade tan par snaan jiname kiya ve sab vastr tyaag de, kore jo vastr paas me hai voh tan pe dhaarale abatak nahi ge hai vo dhayaan de is par, milata hai yahaan darshan ka aapako nanbar bhakto ke lie kamare bane yahaan aarakshit, saamaan jama hota jahaan sabaka surakshit le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re kuchh aisa nazaara hai , thakate nahi nayan, lagata hai svarg jaisa ambe tera bhavan milati hai bhavan pe saari pooja ki saamagri , lahara rahi hai har tarph laal hi chunaree maiya ki chunari hai prem se tum sir pe baandh lo, aur naariyal bahaar hi apana jama karo mandir ke baahar bhakto ki lagati lambi kataar hai ,baari kab aaegi sabako yah intazaar hai sankara hai bhavan dvaar badaho aadha letakar,yah dvaar hi hai bhairo ka sheesh kata dhadah le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re pindi darsh se pahale bhi ek sthaan par, panje bane hai sher ke ek shila par aata hai ab vo darashy mainkaise karoo varnan, hota hai pindi roop me mahaamaai ka darshan aadar se maatha tekana tum ma ke charan par, khulane me naseeba nahi lagata hai p bhar poojasaamagri laaye ho vo saari chadaha do, jisajis ka chadahaava hai use aadar se chadaha do baithi hai kaali maata sarasvati saath me, jalati hai ma ki jyoti bina tel baati ke ma karati kshma chhoteebadi saadi bhool bhi, ik aur dhara dekhoge ma ka trishool bhee le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re ab ma ki aagya ko hai hamane nibhaana, darshan ke lie bhairo ke mandir bhi hai jaanaa milate hai pushp milati dhoopah baati hai yahaan, kaala dhaaga bhi milata hai bhairo naam ka yahaan ghaati me door jaake bana bhairav ka mandir, mandir me pada hai bhairav ka kata hua sir shrddha de dhup baati bhairav pe chadahaana, aadar se haath jod ke tum sir ko jhukaanaa maata ke puny dhaam ki yah yaatra saari, poori kare bhavaani maiya kaamana teree le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re paavan hai sabase ooncha hai saancha hai ye darabaar kalayug me bhi hote hai jahaan roz chamatkaar le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re ab baat suno treta yug ki ek puraani, itihaas hai aanbe ma ki sachchi kahaanee ma ne kaha hai daanav jab sir uthaaenge, tabatab mere haatho se vo munh ki khaaenge ye us samaaye ki baat hai, jab raavan kumbhakaran, upadrav mcha rahe the taadaka aur kharadooshan tab bhagavati ki shaktiyaan ekatr ho gayi, phir jinake yog se ik shakti prakat huee ma bhagavati ki shaktiyon se shakti jo aayi, use dekh ke prasann hui vaishno maaee boli vo shakti maat bata kyon hai bulaaya, vo kaaj bata jisake lie mujhako janmaayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re boli ye bhavaani ab apana kaaj tum suno,tum dharm ka prchaar aur raksha tumhi karo devi ne vishnuansh se tab janm le liya, raaja saagar ne naam usaka rkha trikutaa is kanya ne tab vaishnav dharm shuroo kiya,har aur jaake dharm ka prchaar khud kiyaa thodehi samay baad yah prasiddh ho gayi, apaar siddhiyon se vo sampan ho gayee aate the bhakt door se darshan ke vaaste, sankat se bchane ke ye bataati thi raaste le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re ek din voh leke aagya apane pita se, karane lagi tapasya saagar ke tat pe ek din use bhavaani darshan de boli, too ram naam ratale ab sunale vaishnavee tab devi tap karane lagi ram naam ka, bas mukh me subahshaam usake ram naam thaa seeta haran ke baad sang vaanar sena ke, aaye padaav daalane ram saagar ke tat pe devi ne kaha saadhana japatap mera hai ram, karati hoon prbhu aapako mainshatshat pranaam le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re kahane lagi pati hai mainne aapako chuna, is kaaran kar rahi hoon prbhu mainyah tapasyaa bole ye ram baat suno meri he devee!, is janm me pahale hi hai seeta meri patnee kintu tumhaare tap ka phal tum ko mil sake, aaoonga badal bhesh mainpaas tumhaare devi agar jo tum mujhe pahchaan jaaogi , is janm me tum meri patni kahaaogee tab ram chal pade devi ko bolake aisa, aur ramnaam japane lagi devi trikutaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re lanka ko jeet ram die ek udaaharan, laute to roop kiye ek saadhu ka dhaaran sanmukh ge trikuta devi ke voh ghadi aayi, par devi is bhesh me pahchaan n paayee kahane lagi he mahaatmaa! aap kaise pdhaare, kis kaaran aaye hai jogan ke dvaare tab ram ji ne asali roop apana dikhaaya, sab bhaagy ki karani hai ise kisane mitaayaa kahane lage tab ram suno devee! vaishnavi, kalayug me banogi tumhi patni hamaaree yah ktha hame deti is baat ki shiksha, leta hai samay aake aisi sabaki pareekshaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re aaoonga kalki roop me parathvi pe doobaara, tab naam judega mere hi saath tumhaaraa har aur danka bajata tere naam ka hoga, kalayug me tera naam maata vaishno hogaa tab se hi devi maata yahaan tap me leen hai, saara hi braahaman jo unake adheen hai karati hai apani leela aksar vo niraali, gauri ,kbhi durga, kbhi manasa, kbhi kaalee naina hai, chintapoorni, barajeshvari maata, jvaala hai, chaamunda hai, shaakhaambhaari maataa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re durga ke jaap me jo koi dhayaan laga le, ma khol deti usake mukadar ke hi taale ab tumako sunate hai ktha maat jvaala ki, mandir ka jisake darashy hai sabase niraala jee jalati hai nau roopon me meri maiya ki jyoti, lau jyoti ki magar kbhi bhi kaam nahi hotee yah baat puraani hai yahaan ek tha raaja,rahati thi jisake raaj me sukhi sbhi prajaa ek roz ik gvaale ne aake usako bataaya, parvat pe jyoti jalati hai phir usako sunaayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re tab raat ko devi ne chamatkaar dikhaaya, soya jab raaja usake svapn me aayaa kahane lagi he raajan yahaan meri jivha giri, is kaaran jalati hai yahaan divya jyoti sthaan yahi hai mera too mujhako jaga de, mandir too mere naam ka chhotaasa bana de tab raaja ne jvaala ka mandir tha banaaya, ki poojaaarchana chhatr ma pe chadahaayaa vanavaas me apane paandav yahaan pe aaye, pooja unhonne ma ko, arjun chavar dulaaye le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re mshahoor ho gaya tbhi se jvaalaaji ka naam ,bhakto ke aap banane lage saare bigade kaam dhayaanu ne jvaala ma pe apana sheesh chadahaaya, maata ne prakat hoke turant usako jilaayaa boli ye ambe maata koi var too maang le, bole ye dhayaanu kar gaya too he meri maate har aadami ka moh jeevan se hat nahi sakata, har koi tujhe sheesh bhent kar nahi sakataa jo naariyal chadahaaye ma usaki bhi praarthana, mainvinati yah karata hoon mainya pyaar se sunanaa boli ye devi jo mujhe naariyal chadahaaega, vo bhakt apani pooja ka phal paayegaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re mandir ki pahali jyot jo hai, mahaabali hai yah, bhakto ko apane kashton se mukti dilati yah dooji jo jyot hai vo maata mahaamaaya, vikhyaat isaka naam hai vo annapoornaa teeji jo jyot ma ki hai vo chandi hai maata, sab shatruon ka naash isake naam se hotaa chauthi jo jyot hai vo hingalaaj bhavaani, har baadha taal deti hai ma bhaagy ki raanee paanchavi jo jyot hai vo vindhayavaasini ma hai, paapo se mukt karati muktadaayini ma hai le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re chhthi jo jyot hai vo mahaalakshmi ki hai, yah maiya dhandhaany sukh vaibhav deti hai saataveen jo jyot hai vo vidyaadaayini sarasvati, yah moodah ko bhi pal me vidvaan hai karatee yah jhooth nahi sch hai vishvaas tum karo, n maanate to kaalidaas yaad tum karo patni se ninda paake ki shaarada pooja, tha moodahamati lekin vidvaan vo huaa aathaveen jo jyot hai vo maata ambika ki hai, antim jo jyot hai vo maata anjani ki hai le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re jahaan sati ke ang gire shiv bhi vahaan hai, shiv bhi vahi rahate usaki shakti jahaan hai jis roop me bhi shiv ne avataar liya hai, itihaas saakshi hai ma ne saath diya hai mahaakaal avataar me mahaakaali ma bani, taarakeshvar avataar me vo taara ma banee bhuvaneshvar avataar me bhuvaneshvari bani, shodsh bane jo shiv maata shodshi banee bhairav bane jo shiv maata bani bhairavi, chhinmastik avataar me chhinmastika banee le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re is yug me bhavaani ke nau mukhy hai darabaar, jaate hai bhakt jiname har din hi baarabaar naina devi ,chintapoorni hai, jvaalaamukhi hai, barajeshvari, vaishno maiya, chaamunda devi hai manasa devi, shaakambari aur kalika devi, bhakto ki apane kaamana ko poorn kar detee navaraatron me lagata hai yahaan bhakto ka mela, jay rohini, jay subhadra, teri jay ho ma kailaa too shakti ka avataar hai mahima teri nyaari, mshahoor hai jag me teri shero ki savaaree jo pooja teri karake kanjako ko bithaata, vo bhakt jeevan saagar se hai paar ho jaataa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re sati ke shav ke tukade vishnu ne the jab kiye, jin sthaanon pe vo shakti peeth ban ge kalakatte tere kesh gire kalika bani, aasaam gira mukh tera kumakhya banee jahaan sheesh gira tera shaakhaambari bani, jis parvat tere nayan gire naina ma banee jahaan charan gire tere chintapoorni bani, jvaala ji jivha giri jvaala ma banee trikoot pe tere baajoo gire vaishno ma bani, jahaan haath gire tere hingalaaj too banee le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re akabar ne sone ka tujhe tha chhatr chadahaaya, toone ma ahankaar ka ahankaar mitaayaa karati hai apane bhakton ke ma pure too sapane, samjhe kisi ko gair nahi sab tere apane too apane bhakto ki sada hi laaj bchati, dhanna ka patthar too paani me tiraatee karate rahe sada ham ma vandan tera, sataakshi roop se hota ma poojan teraa jisane jo ma se maaga meri ma ne hai diya, bhakto ko ma ke dar se sada pyaar hai milaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re bandhano se mukt karati bhavamochini maata, bhavya hai too ,ananta hai, kaatyaayini maataa hai ashtbhuja maata meri roop niraala, kesho me andhera ma ki palakon ujaalaa dharati pe anyaay ne jab uthake pukara, maiya ne raktabeej se daanav ko hai maaraa mahishaasur, shumbhanishumbh ne zulm jo dhaaya, ma aage badahi pal me inhe maar giraayaa meri laataavaali, jyota vaali, shera vaali ma, meri karuna vaali, meharaan vaali, mandaraavaali maa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re jis ghar me ma ki jyot jali hai sanvar gaya, upavaasavrat jo ma ka kare samjho tar gayaa har leti sabake man ki harik peeda bhavaani, karati hai bhikhaari ko raaja kshn me kalyaanee aaye hai pahali baar maiya tere dvaar pe, balihaari hai bhavaani ma ham tere pyaar pe naino me bas gayi hai teri pyaari si soorat, aur dil me ram gayi hai teri mohini moorat dhandhaany se yah tera gharbhaar bharegi, paiso ki ma dhanalakshmi bauchhaar karengee maiya tere darabaar me man sabaka kho gaya, aaya jo vaishno dhaam bhavaani ka ho gayaa le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re ho maata ambe aapaka aavaahan n jaane, pooja vidhi ham aapaki naadaan n jaane paapi hai paap karate hai karate nahi hai jaap, hamane suna hai paap ki harta hai maiya aap ik aap ho bhalaai me jeevan laga diya, ik ham hai bas buraai me sab kuchh gava diyaa pooja hamaari jaisi hai sveekaar keejie,sab door bure yah man ke ye vichaar keejiye bhoole hamaari bhool jaana jag ki paalanahaar, aaye sharan tihaari maiya ab laga do paar le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re jisane hame bhavaani ma ka maarg dikhaaya, aabhaari hai jisane bhi ktha saar sunaayaa un vedopuraanon ko karate hai ham naman, jinase mili hai hamako vaishno yaatra ki umang koshish hamaari yah hai bhare aap me lagan, nau deviyon ka darshan kare aap bhi shreeman poojaavidhi ki rasmo se ham anajaan hai, agyaani hai ham aap sab to buddhimaan hai karate hai yahi vinati sabase haath jodakar, kuchh chhoot gaya ho to dena maapah hame kar le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re paavan hai sabase ooncha hai saancha hai ye darabaar kalayug me bhi hote hai jahaan roz chamatkaar, le aanbe naam chal re, chal vaishno dhaam chal re SOURCE: http://www.yugalsarkar.com/lyrics/le-ambe-naam-chal-le-le-vashino-naam-chal-re-Lyrics