विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi): नमामीशम् – श्री शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ जो ईशान – ईशान दिशाके ईश्वर निर्वाणरूपं – मोक्षस्वरुप विभुं व्यापकं – सर्व्यवापी ब्रह्मवेदस्वरूपम् – ब्रह्म और वेदस्वरूप है निजं – निजस्वरुप में स्थित (अर्थात माया आदि से रहित) निर्गुणं – गुणों से रहित निर्विकल्पं – भेद रहित निरीहं – इच्छा रहित चिदाकाशम् – चेतन आकाशरूप एवं आकाशवासं – आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले (अथवा आकाश को भी आच्छादित करने वाले) भजेहम् – हे शिव, आपको में भजता हूँभावार्थ: हे मोक्षस्वरुप विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशाके ईश्वर तथा सबके स्वामी श्री शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। निजस्वरुप में स्थित (अर्थात मायादिरहित), गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित चेतन आकाशरूप एवं आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले दीगम्बर (अथवा आकाश को भी आच्छादित करने वाले), आपको में भजता हूँ ॥१॥ 2. निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्। करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोहम्॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):निराकार – निराकार स्वरुप ओमङ्कारमूलं – ओंकार के मूल तुरीयं – तीनों गुणों से अतीत गिराज्ञानगोतीतमीशं – वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे गिरीशम् – कैलाशपति करालं – विकराल महाकालकालं – महाकाल के काल कृपालं – कृपालु गुणागार – गुणों के धाम संसारपारं – संसार से परे नतोहम् – परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँभावार्थ: निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत), वाणी ज्ञान और इन्द्रियों से पर, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के काल कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ ॥२॥3. तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्। स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं – जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् – जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा – जिनके सिरपर सुन्दर नदी गंगा जी विराजमान हैं लसद्भालबालेन्दु – जिनके ललाटपर द्वितीय का चन्द्रमा और कण्ठे भुजङ्गा – गले में सर्प सुशोभित हैंभावार्थ: जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिरपर सुन्दर नदी गंगा जी विराजमान हैं, जिनके ललाटपर द्वितीय का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित हैं ॥३॥4. चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्। मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):चलत्कुण्डलं – जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं भ्रूसुनेत्रं विशालं – सुन्दर भृकुटि और विशाल नेत्र हैं प्रसन्नाननं – जो प्रसन्नमुख नीलकण्ठं – नीलकंठ और दयालम् – दयालु हैं मृगाधीशचर्माम्बरं – सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्डमालं – मुण्डमाला पहने हैं प्रियं शङ्करं – उन सबके प्यारे और सर्वनाथं – सबके नाथ (कल्याण करने वाले) श्री शंकर जी को भजामि – मैं भजता हूँभावार्थ: जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुन्दर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ और दयालु हैं, सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्डमाला पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ (कल्याण करने वाले) श्री शंकर जी को मैं भजता हूँ ॥४॥5. प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं। त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं – प्रचंड (रुद्ररूप) श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर अखण्डं – अखंड अजं – अजन्मा भानुकोटिप्रकाशं – करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले त्र्यःशूलनिर्मूलनं – तीनों प्रकार के शूलों (दुखों) को निर्मूल करने वाले शूलपाणिं – हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए भजेहं – मैं भजता हूँ भवानीपतिं – भवानी के पति श्री शंकर भावगम्यम् – भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होने वालेभावार्थ: प्रचंड (रुद्ररूप) श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर, अखंड, अजन्मा, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों (दुखों) को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए, भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकर जी को मैं भजता हूँ ॥५॥6. कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी॥ चिदानन्दसंदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):कलातीत – कलाओं से परे कल्याण – कल्याण स्वरुप कल्पान्तकारी – कल्पका अंत (प्रलय) करने वाले सदा सज्जनानन्ददाता – सज्जनों को सदा आनंद देने वाले पुरारी – त्रिपुर के शत्रु चिदानन्दसंदोह – सच्चिदानन्दघन मोहापहारी – मोहको हराने वाले प्रसीद प्रसीद प्रभो – कामदेव के शत्रु, हे प्रभु, प्रसन्न होइये मन्मथारी – मनको मथ डालने वालेभावार्थ: कलाओं से परे, कल्याण स्वरुप, कल्पका अंत (प्रलय) करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोहको हराने वाले, मनको मथ डालने वाले, कामदेव के शत्रु, हे प्रभु, प्रसन्न होइये ॥६॥7. न यावद् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्। न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):न यावद् उमानाथपादारविन्दं – जबतक पार्वती के पति (शिवजी) आपके चरणकमलों को भजन्तीह – मनुष्य नहीं भजते लोके परे वा नराणाम् – तबतक उन्हें इसलोक में या परलोक में न तावत्सुखं शान्ति – न सुख-शान्ति मिलती है और सन्तापनाशं – न उनके तापों का नाश होता है प्रसीद प्रभो – प्रभो। प्रसन्न होइये सर्वभूताधिवासं – समस्त जीवों के अन्दर (हृदय में) निवास करनेवालेभावार्थ: जबतक पार्वती के पति आपके चरणकमलों को मनुष्य नहीं भजते, तबतक उन्हें न तो इसलोक ओर परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अत: हे समस्त जीवों के अन्दर (हृदय में) निवास करनेवाले प्रभो, प्रसन्न होइये ॥७॥8. न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्। जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो॥अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):न जानामि योगं – मैं न तो योग जानता हूँ जपं नैव पूजां – न जप और पूजा ही नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् – हे शम्भो। मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। जराजन्मदुःखौघ – बुढापा (जरा), जन्म-मृत्यु के दुःख समूहों से तातप्यमानं – जलते हुए मुझ दुखी की दुःख में रक्षा कीजिये प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो – हे प्रभु, हे ईश्वर, हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूँभावार्थ: मैं न तो योग जानता हूँ, न जप और पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। हे प्रभु, बुढापा तथा जन्म (मृत्यु) के दुःख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुःख में रक्षा कीजिये। हे ईश्वर, हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूँ ॥८॥ Shiv Rudrashtakam Stotra By Anuradha Paudwal vibhun vyaapakan brahamavedasvaroopam. nijan nirgunan nirvikalpan nireehan chidaakaashamaakaashavaasan bhajeham..arth (stotar meaninag in hinadi): namaameesham shri shivaji, mainaapako namaskaar karata hoon jo eeshaan eeshaan dishaake eeshvar nirvaanaroopan mokshsvarup vibhun vyaapakan sarvyavaapee brahamavedasvaroopam braham aur vedasvaroop hai nijan nijasvarup me sthit (arthaat maaya aadi se rahit) nirgunan gunon se rahit nirvikalpan bhed rahit nireehan ichchha rahit chidaakaasham chetan aakaasharoop evan aakaashavaasan aakaash ko hi vastr roop me dhaaran karane vaale (athava aakaash ko bhi aachchhaadit karane vaale) bhajeham he shiv, aapako me bhajata hoonbhaavaarth: he mokshsvarup vibhu, vyaapak, braham aur vedasvaroop, eeshaan dishaake eeshvar ttha sabake svaami shri shivaji, mainaapako namaskaar karata hoon. nijasvarup me sthit (arthaat maayaadirahit), gunon se rahit, bhed rahit, ichchha rahit chetan aakaasharoop evan aakaash ko hi vastr roop me dhaaran karane vaale deegambar (athava aakaash ko bhi aachchhaadit karane vaale), aapako me bhajata hoon ..1.. 2. niraakaaramonkaaramoolan tureeyan giraagyaanagoteetameeshan gireesham. karaalan mahaakaalakaalan kripaalan gunaagaarasansaarapaaran natoham..arth (stotar meaninag in hinadi):niraakaar niraakaar svarup omankaaramoolan onkaar ke mool tureeyan teenon gunon se ateet giraagyaanagoteetameeshan vaani, gyaan aur indriyon se pare gireesham kailaashapati karaalan vikaraal mahaakaalakaalan mahaakaal ke kaal kripaalan kripaalu gunaagaar gunon ke dhaam sansaarapaaran sansaar se pare natoham parameshvar ko mainnamaskaar karata hoonbhaavaarth: niraakaar, onkaar ke mool, tureey (teenon gunon se ateet), vaani gyaan aur indriyon se par, kailaashapati, vikaraal, mahaakaal ke kaal kripaalu, gunon ke dhaam, sansaar se pare aap parameshvar ko mainnamaskaar karata hoon ..2..3. tushaaraadrisankaashagauran gbhiran manobhootakotiprbhaashri shareeram. sphuranmaulikallolini chaarugangaa lasadbhaalabaalendu kanthe bhujangaa..arth (stotar meaninag in hinadi):tushaaraadrisankaashagauran gbhiran jo himaachal ke samaan gauravarn ttha ganbheer hain manobhootakotiprbhaashri shareeram jinake shareer me karodon kaamadevon ki jyoti evan shobha hai sphuranmaulikallolini chaaruganga jinake sirapar sundar nadi ganga ji viraajamaan hain lasadbhaalabaalendu jinake lalaatapar dviteey ka chandrama aur kanthe bhujanga gale me sarp sushobhit hainbhaavaarth: jo himaachal ke samaan gauravarn ttha ganbheer hain, jinake shareer me karodon kaamadevon ki jyoti evan shobha hai, jinake sirapar sundar nadi ganga ji viraajamaan hain, jinake lalaatapar dviteey ka chandrama aur gale me sarp sushobhit hain ..3..4. chalatkundalan bhroosunetrn vishaalan prasannaananan neelakanthan dayaalam. maragaadheeshcharmaambaran mundamaalan priyan shankaran sarvanaathan bhajaami..arth (stotar meaninag in hinadi):chalatkundalan jinake kaanon me kundal hil rahe hain bhroosunetrn vishaalan sundar bharakuti aur vishaal netr hain prasannaananan jo prasannamukh neelakanthan neelakanth aur dayaalam dayaalu hain maragaadheeshcharmaambaran sinhcharm ka vastr dhaaran kiye aur mundamaalan mundamaala pahane hain priyan shankaran un sabake pyaare aur sarvanaathan sabake naath (kalyaan karane vaale) shri shankar ji ko bhajaami mainbhajata hoonbhaavaarth: jinake kaanon me kundal hil rahe hain, sundar bhrukuti aur vishaal netr hain, jo prasannamukh, neelakanth aur dayaalu hain, sinhcharm ka vastr dhaaran kiye aur mundamaala pahane hain, un sabake pyaare aur sabake naath (kalyaan karane vaale) shri shankar ji ko mainbhajata hoon ..4..5. prchandan prakrishtan pragalbhan pareshan akhandan ajan bhaanukotiprakaashan. tryahshoolanirmoolanan shoolapaanin bhajehan bhavaaneepatin bhaavagamyam..arth (stotar meaninag in hinadi):prchandan prakrishtan pragalbhan pareshan prchand (rudraroop) shreshth, tejasvi, parameshvar akhandan akhand ajan ajanmaa bhaanukotiprakaashan karodon sooryon ke samaan prakaash vaale tryahshoolanirmoolanan teenon prakaar ke shoolon (dukhon) ko nirmool karane vaale shoolapaanin haath me trishool dhaaran kiye hue bhajehan mainbhajata hoon bhavaaneepatin bhavaani ke pati shri shankar bhaavagamyam bhaav (prem) ke dvaara praapt hone vaalebhaavaarth: prchand (rudraroop) shreshth, tejasvi, parameshvar, akhand, ajanma, karodon sooryon ke samaan prakaash vaale, teenon prakaar ke shoolon (dukhon) ko nirmool karane vaale, haath me trishool dhaaran kiye hue, bhaav (prem) ke dvaara praapt hone vaale bhavaani ke pati shri shankar ji ko mainbhajata hoon ..5..6. kalaateetakalyaan kalpaantakaaree sada sajjanaanandadaata puraari.. chidaanandasandoh mohaapahaaree praseed praseed prbho manmthaari..arth (stotar meaninag in hinadi):kalaateet kalaaon se pare kalyaan kalyaan svarup kalpaantakaari kalpaka ant (pralay) karane vaale sada sajjanaanandadaata sajjanon ko sada aanand dene vaale puraari tripur ke shatru chidaanandasandoh sachchidaanandghan mohaapahaari mohako haraane vaale praseed praseed prbho kaamadev ke shatru, he prbhu, prasann hoiye manmthaari manako mth daalane vaalebhaavaarth: kalaaon se pare, kalyaan svarup, kalpaka ant (pralay) karane vaale, sajjanon ko sada aanand dene vaale, tripur ke shatru, sachchidaanandghan, mohako haraane vaale, manako mth daalane vaale, kaamadev ke shatru, he prbhu, prasann hoiye ..6..7. n yaavad umaanaathapaadaaravindan bhajanteeh loke pare va naraanaam. n taavatsukhan shaanti santaapanaashan praseed prbho sarvbhootaadhivaasan..arth (stotar meaninag in hinadi):n yaavad umaanaathapaadaaravindan jabatak paarvati ke pati (shivajee) aapake charanakamalon ko bhajanteeh manushy nahi bhajate loke pare va naraanaam tabatak unhen isalok me ya paralok me n taavatsukhan shaanti n sukh-shaanti milati hai aur santaapanaashan n unake taapon ka naash hota hai praseed prbho prbho. prasann hoiye sarvbhootaadhivaasan samast jeevon ke andar (haraday me) nivaas karanevaalebhaavaarth: jabatak paarvati ke pati aapake charanakamalon ko manushy nahi bhajate, tabatak unhen n to isalok or paralok me sukh-shaanti milati hai aur n unake taapon ka naash hota hai. at: he samast jeevon ke andar (haraday me) nivaas karanevaale prbho, prasann hoiye ..7..8. n jaanaami yogan japan naiv poojaan natohan sada sarvada shambhutubhyam. jaraajanmaduhkhaugh taatapyamaanan prbho paahi aapannamaameesh shanbho..arth (stotar meaninag in hinadi):n jaanaami yogan mainn to yog jaanata hoon japan naiv poojaan n jap aur pooja hee natohan sada sarvada shambhutubhyam he shambho. mainto sadaa-sarvada aapako hi namaskaar karata hoon. jaraajanmaduhkhaugh budhaapa (jaraa), janm-maratyu ke duhkh samoohon se taatapyamaanan jalate hue mujh dukhi ki duhkh me raksha keejiye prbho paahi aapannamaameesh shanbho he prbhu, he eeshvar, he shambho, mainaapako namaskaar karata hoonbhaavaarth: mainn to yog jaanata hoon, n jap aur pooja hi. he shambho, mainto sadaa-sarvada aapako hi namaskaar karata hoon. he prbhu, budhaapa ttha janm (maratyu) ke duhkh samoohon se jalate hue mujh dukhi ki duhkh me raksha keejiye. he eeshvar, he shambho, mainaapako namaskaar karata hoon ..8.. SOURCE: http://www.yugalsarkar.com/lyrics/shiv-rudrashtakam-stotra-by-anuradha-paudwal-Lyrics