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मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ,
दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ ।

मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ,
दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ ।

ऐ लाल चुनरिया वाली बेटी
ये तो बताओ माँ के भवन जाने का रास्ता
किधर से है इधर से है या उधर से

सुन रे भक्त परदेशी,
इतनी जल्दी है कैसी
अरे जरा घूम लो फिर,
लो रौनक देखो कटरा की

जाओ तुम वहां जाओ,
पहले पर्ची कटाओ
ध्यान मैया का धरो,
इक जैकारा लगाओ
चले भक्तों की टोली,
संग तुम मिल जाओ,
तुम्हे रास्ता दिखा दूँ,
मेरे पीछे चले आओ

ये है दर्शनी डयोढ़ी,
दर्शन पहला है ये
करो यात्रा शुरू तो,
जय माता दी कह
यहाँ तलक तो लायी बेटी,
आगे भी ले जाओ ना
॥ मैं परदेशी हूँ...॥

इतना शीतल जल,
ये कौन सा स्थान है बेटी?

ये है बाणगंगा,
पानी अमृत समान,
होता तन मन पावन,
करो यहाँ रे स्नान
माथा मंदिर में टेको,
करो आगे प्रस्थान,
चरण पादुका वो आई,
जाने महिमा जहान
मैया जग कल्याणी,
माफ़ करना मेरी भूल,
मैंने माथे पे लगाई,
तेरी चरणों की धूल
यहाँ तलक तो लायी बेटी,
आगे भी ले जाओ ना
॥ मैं परदेशी हूँ...॥

ये हम कहा आ पहुंचे,
ये कौन सा स्थान है बेटी?

ये है आदि कुवारी,
महिमा है इसकी भारी
गर्भजून वो गुफा है,
कथा है जिसकी न्यारी
भैरों जती इक जोगी,
मास मदिरा आहारी,
लेने माँ की परीक्षा,
बात उसने विचारी
मास और मधु मांगे,
मति उसकी थी मारी
हुई अंतर्ध्यान माता,
आया पीछे दुराचारी
नौ महीने इसी मे रही,
मैया अवतारी
इसे गुफा गर्भजून जाने,
दुनिया ये सारी

और गुफा से निकलकर माता वैष्णो रानी,
ऊपर पावन गुफा में पिंडी रूप मे प्रकट हुई

धन्य धन्य मेरी माता,
धन्य तेरी शक्ति
मिलती पापों से मुक्ति,
करके तेरी भक्ति
यहाँ तलक तो लायी बेटी,
आगे भी ले जाओ ना
॥ मैं परदेशी हूँ...॥

ओह मेरी मइया !
इतनी कठिन चढ़ाई,
ये कौन सा स्थान है बेटी?

देखो ऊँचे वो पहाड़,
और गहरी ये खाई
जरा चढ़ना संभल के,
हाथी मत्थे की चढ़ाई
टेढ़े मेढ़े रस्ते है,
पर डरना न भाई
देखो सामने वो देखो,
सांझी छत की दिखाई

परदेशी यहाँ कुछ खा लो पी,
थोडा आराम कर लो,
लो बस थोड़ी यात्रा और बाकी है

ऐसा लगता है,
मुझको मुकाम आ गया
माता वैष्णो का,
निकट ही धाम आ गया
यहाँ तलक तो लायी बेटी,
आगे भी ले जाओ ना
॥ मैं परदेशी हूँ...॥

वाह क्या सुन्दर नज़ारा,
आखिर हम माँ के भवन पहुंच ही गए न
ये पावन गुफा किधर है बेटी?

देखो सामने गुफा है,
मैया रानी का दुआरा
माता वैष्णो ने यहाँ,
रूप पिण्डियों का धारा
चलो गंगा में नहा लो,
थाली पूजा की सजा लो
लेके लाल लाल चुनरी,
अपने सर पे बंधवा लो
जाके सिंदूरी गुफा में,
माँ के दर्शन पा लो
बिन मांगे ही यहाँ से,
मन इच्छा फल पा लो

गुफा से बाहर आकर, कंजके बिठाते हैं, उनको हलवा पूरी और, दक्षिणा देकर आशीर्वाद पातें है,
और लौटते समय बाबा भैरो नाथ के दर्शन करने से यात्रा संपूर्ण मानी जाती है

आज तुमने सरल पे,
उपकार कर दिया
दामन खुशियों से,
आनंद से भर दिया
भेज बुलावा अगले बरस भी,
परदेशी को बुलाओ माँ
हर साल आऊंगा,
जैसे इस बार आया हूँ
॥ मैं परदेशी हूँ...॥

मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ,
दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ ।



mainparadeshi hoon pahali baar aaya hoon,
darshan karane miya ke darabaar aaya hoon .

mainparadeshi hoon pahali baar aaya hoon,
darshan karane miya ke darabaar aaya hoon .

ai laal chunariya vaali beti
ye to bataao ma ke bhavan jaane ka raasta
kidhar se hai idhar se hai ya udhar se

sun re bhakt paradeshi,
itani jaldi hai kaisee
are jara ghoom lo phir,
lo raunak dekho katara kee

jaao tum vahaan jaao,
pahale parchi kataao
dhayaan maiya ka dharo,
ik jaikaara lagaao
chale bhakton ki toli,
sang tum mil jaao,
tumhe raasta dikha doon,
mere peechhe chale aao

ye hai darshani dayodahi,
darshan pahala hai ye
karo yaatra shuroo to,
jay maata di kah
yahaan talak to laayi beti,
aage bhi le jaao naa
.. mainparadeshi hoon.....

itana sheetal jal,
ye kaun sa sthaan hai betee

ye hai baanaganga,
paani amarat samaan,
hota tan man paavan,
karo yahaan re snaan
maatha mandir me teko,
karo aage prasthaan,
charan paaduka vo aai,
jaane mahima jahaan
maiya jag kalyaani,
maapah karana meri bhool,
mainne maathe pe lagaai,
teri charanon ki dhool
yahaan talak to laayi beti,
aage bhi le jaao naa
.. mainparadeshi hoon.....

ye ham kaha a pahunche,
ye kaun sa sthaan hai betee

ye hai aadi kuvaari,
mahima hai isaki bhaaree
garbhajoon vo gupha hai,
ktha hai jisaki nyaaree
bhairon jati ik jogi,
maas madira aahaari,
lene ma ki pareeksha,
baat usane vichaaree
maas aur mdhu maange,
mati usaki thi maaree
hui antardhayaan maata,
aaya peechhe duraachaaree
nau maheene isi me rahi,
maiya avataaree
ise gupha garbhajoon jaane,
duniya ye saaree

aur gupha se nikalakar maata vaishno raani,
oopar paavan gupha me pindi roop me prakat huee

dhany dhany meri maata,
dhany teri shakti
milati paapon se mukti,
karake teri bhakti
yahaan talak to laayi beti,
aage bhi le jaao naa
.. mainparadeshi hoon.....

oh meri miya !
itani kthin chadahaai,
ye kaun sa sthaan hai betee

dekho oonche vo pahaad,
aur gahari ye khaaee
jara chadahana sanbhal ke,
haathi matthe ki chadahaaee
tedahe medahe raste hai,
par darana n bhaaee
dekho saamane vo dekho,
saanjhi chhat ki dikhaaee

paradeshi yahaan kuchh kha lo pi,
thoda aaram kar lo,
lo bas thodi yaatra aur baaki hai

aisa lagata hai,
mujhako mukaam a gayaa
maata vaishno ka,
nikat hi dhaam a gayaa
yahaan talak to laayi beti,
aage bhi le jaao naa
.. mainparadeshi hoon.....

vaah kya sundar nazaara,
aakhir ham ma ke bhavan pahunch hi ge n
ye paavan gupha kidhar hai betee

dekho saamane gupha hai,
maiya raani ka duaaraa
maata vaishno ne yahaan,
roop pindiyon ka dhaaraa
chalo ganga me naha lo,
thaali pooja ki saja lo
leke laal laal chunari,
apane sar pe bandhava lo
jaake sindoori gupha me,
ma ke darshan pa lo
bin maange hi yahaan se,
man ichchha phal pa lo

gupha se baahar aakar, kanjake bithaate hain, unako halava poori aur, dakshina dekar aasheervaad paaten hai,
aur lautate samay baaba bhairo naath ke darshan karane se yaatra sanpoorn maani jaati hai

aaj tumane saral pe,
upakaar kar diyaa
daaman khushiyon se,
aanand se bhar diyaa
bhej bulaava agale baras bhi,
paradeshi ko bulaao ma
har saal aaoonga,
jaise is baar aaya hoon
.. mainparadeshi hoon.....

mainparadeshi hoon pahali baar aaya hoon,
darshan karane miya ke darabaar aaya hoon .







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