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एकादशी माहात्म्य कथाएँ (एकादशी व्रत कथा)

Ekadashi Vrat Katha (Ekadasi Katha)

कथा 2 - Katha 2

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मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की 'मोक्षा' एकादशी का माहात्म

मार्गशीर्ष शुक्लपक्षकी 'मोक्षा' एकादशीका माहात्म्य
युधिष्ठिर बोले- देवदेवेश्वर ! मैं पूछता हूँ- मार्गशीर्षमासके शुक्लपक्षमें जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है ? कौन-सी विधि है तथा उसमें किस देवताका पूजन किया जाता है ? स्वामिन्! यह सब यथार्थरूपसे बताइये ।

श्रीकृष्णने कहा- नृपश्रेष्ठ! मार्गशीर्षमासके कृष्णपक्षमें 'उत्पत्ति' (उत्पन्ना) नामकी एकादशी होती है, जिसका वर्णन मैंने तुम्हारे समक्ष कर दिया है। अब शुक्लपक्षकी एकादशीका वर्णन करूँगा, जिसके श्रवणमात्रसे वाजपेय यज्ञका फल मिलता है। उसका नाम है- 'मोक्षा' एकादशी, जो सब पापोंका अपहरण करनेवाली है। राजन् ! उस दिन यत्नपूर्वक तुलसीकी मंजरी तथा धूप-दीपादिसे भगवान् दामोदरका पूजन करना चाहिये। पूर्वोक्त विधिसे ही दशमी और एकादशीके नियमका पालन करना उचित है । 'मोक्षा' एकादशी बड़े-बड़े पातकोंका नाश करनेवाली है। उस दिन रात्रिमें मेरी प्रसन्नताके लिये नृत्य, गीत और स्तुतिके द्वारा जागरण करना चाहिये। जिसके पितर पापवश नीच योनिमें पड़े हों, वे इसका पुण्य-दान करनेसे मोक्षको प्राप्त होते हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। पूर्वकालकी बात है, वैष्णवोंसे विभूषित परम रमणीय चम्पक नगरमें वैखानस नामक राजा रहते थे। वे अपनी प्रजाका पुत्रकी भाँति पालन करते थे। इस प्रकार राज्य करते हुए राजाने एक दिन रातको स्वप्नमें अपने पितरोंको नीच योनिमें पड़ा हुआ देखा। उन सबको इस अवस्थामें देखकर राजाके मनमें बड़ा विस्मय हुआ और प्रातः काल ब्राह्मणोंसे उन्होंने उस स्वप्नका सारा हाल कह सुनाया।

राजा बोले- ब्राह्मणो! मैंने अपने पितरोंको नरकमें गिरा देखा है। वे बारम्बार रोते हुए मुझसे यों कह रहे थे कि 'तुम हमारे तनुज हो, इसलिये इस नरक-समुद्रसे हमलोगोंका उद्धार करो।' द्विजवरो! इस रूपमें मुझे पितरोंके दर्शन हुए हैं। इससे मुझे चैन नहीं मिलता। क्या करूँ, कहाँ जाऊँ? मेरा हृदय रुँधा जा रहा है। द्विजोत्तमो! वह व्रत, वह तप और वह योग, जिससे मेरे पूर्वज तत्काल नरकसे छुटकारा पा जायँ, बतानेकी कृपा करें। मुझ बलवान् एवं साहसी पुत्रके जीते-जी मेरे माता-पिता घोर नरकमें पड़े हुए हैं! अतः ऐसे पुत्रसे क्या लाभ है।

ब्राह्मण बोले—राजन्! यहाँसे निकट ही पर्वत मुनिका महान् आश्रम है। वे भूत और भविष्यके भी ज्ञाता हैं। नृपश्रेष्ठ! आप उन्हींके पास चले जाइये ।

ब्राह्मणोंकी बात सुनकर महाराज वैखानस शीघ्र ही पर्वत मुनिके आश्रमपर गये और वहाँ उन मुनिश्रेष्ठको देखकर उन्होंने दण्डवत् प्रणाम करके मुनिके चरणोंका स्पर्श किया। मुनिने भी राजासे राज्यके सातों * अंगोंकी कुशल पूछी।

राजा बोले- स्वामिन्! आपकी कृपासे मेरे राज्यके सातों अंग सकुशल हैं किन्तु मैंने स्वप्नमें देखा है कि मेरे पितर नरकमें पड़े हैं; अतः बताइये किस पुण्यके प्रभावसे उनका वहाँसे छुटकारा होगा ? राजाकी यह बात सुनकर मुनिश्रेष्ठ पर्वत एक मुहूर्ततक ध्यानस्थ रहे। इसके बाद वे राजासे बोले - 'महाराज ! मार्गशीर्षमासके शुक्लपक्षमें जो 'मोक्षा' नामकी एकादशी होती है, तुम सब लोग उसका व्रत करो और उसका पुण्य पितरोंको दे डालो। उस पुण्यके प्रभावसे उनका नरकसे उद्धार हो जायगा।' भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं- युधिष्ठिर! मुनिकी यह बात

सुनकर राजा पुनः अपने घर लौट आये। जब उत्तम मार्गशीर्षमास आया, तब राजा वैखानसने मुनिके कथनानुसार 'मोक्षा' एकादशीका व्रत करके उसका पुण्य समस्त पितरोंसहित पिताको दे दिया। पुण्य देते ही क्षणभरमें आकाशसे फूलोंकी वर्षा होने लगी। वैखानसके पिता पितरोंसहित नरकसे छुटकारा पा गये और आकाशमें आकर राजाके प्रति यह पवित्र वचन बोले- 'बेटा! तुम्हारा कल्याण हो ।' यह कहकर वे स्वर्गमें चले गये । राजन् ! जो इस प्रकार कल्याणमयी 'मोक्षा' एकादशीका व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरनेके बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली 'मोक्षा' एकादशी मनुष्योंके लिये चिन्तामणिके समान समस्त कामनाओंको पूर्ण करनेवाली है। इस माहात्म्यके पढ़ने और सुननेसे वाजपेय यज्ञका फल मिलता है।

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एकादशी माहात्म्य कथाएँ
Index


  1. [कथा 1]मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की 'उत्पन्ना' एकादशी का माहात्म [एकादशी के जया आदि भेद, नक्तव्रतका स्वरूप]
  2. [कथा 2]मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की 'मोक्षा' एकादशी का माहात्म
  3. [कथा 3]पौषमास कृष्ण पक्ष की ‘सफला ' एकादशी का माहात्म्य
  4. [कथा 4]पौषमास शुक्ल पक्ष की 'पुत्रदा' एकादशी का माहात्म्य
  5. [कथा 5]माघमास कृष्ण पक्ष की ‘षट्तिला' एकादशी का माहात्म्य
  6. [कथा 6]माघमास शुक्ल पक्ष की 'जया' एकादशी का माहात्म्य
  7. [कथा 7]फाल्गुनमास कृष्ण पक्ष की 'विजया' एकादशी का माहात्म्
  8. [कथा 8]फाल्गुनमास शुक्ल पक्ष की 'आमलकी' एकादशी का माहात्म
  9. [कथा 9]चैत्रमास कृष्ण पक्ष की 'पापमोचनी' एकादशी का माहात्म
  10. [कथा 10]चैत्रमास शुक्ल पक्ष की 'कामदा' एकादशी का माहात्म्य
  11. [कथा 11]वैशाखमास कृष्ण पक्ष की 'वरूथिनी' एकादशी का माहात्म
  12. [कथा 12]वैशाखमास शुक्ल पक्ष की 'मोहिनी' एकादशी का माहात्म
  13. [कथा 13]ज्येष्ठमास कृष्ण पक्ष की 'अपरा एकादशी का माहात्म्य
  14. [कथा 14]ज्येष्ठमास शुक्ल पक्ष की 'निर्जला' एकादशी का माहातम
  15. [कथा 15]आषाढ़मास कृष्ण पक्ष की 'योगिनी' एकादशी का माहात्म्
  16. [कथा 16]आषाढ़मास शुक्ल पक्ष की 'शयनी ' एकादशी का माहात्म्य
  17. [कथा 17]श्रावणमास कृष्ण पक्ष की 'कामिका' एकादशी का माहात्म
  18. [कथा 18]श्रावणमास शुक्ल पक्ष की 'पुत्रदा' एकादशी का माहात्
  19. [कथा 19]भाद्रपदमास कृष्ण पक्ष की 'अजा' एकादशी का माहात्म्य
  20. [कथा 20]भाद्रपदमास शुक्ल पक्ष की 'पद्मा' एकादशी का माहात्म
  21. [कथा 21]आश्विनमास कृष्ण पक्ष की 'इन्दिरा' एकादशी का माहात्
  22. [कथा 22]आश्विनमास शुक्ल पक्ष की 'पापांकुशा एकादशी का माहात
  23. [कथा 23]कार्तिकमास कृष्ण पक्ष की 'रमा' एकादशी का माहात्म्य
  24. [कथा 24]कार्तिकमास शुक्ल पक्ष की 'प्रबोधिनी' एकादशी का माह
  25. [कथा 25]पुरुषोत्तममास प्रथम पक्ष की 'कमला' एकादशी का माहात
  26. [कथा 26]पुरुषोत्तममास द्वितीय पक्ष की 'कामदा' एकादशी का महातम्य