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देवी भागवत महापुराण ( देवी भागवत)

Devi Bhagwat Purana (Devi Bhagwat Katha)

स्कन्ध 12, अध्याय 17 - Skand 12, Adhyay 17

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श्रीदुर्गाजीकी आरती

जगजननी जय ! जय !! ( मा! जगजननी जय ! जय !! )

भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय ! जय ॥ टेक ॥

तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा ।

सत्य सनातन सुन्दर पर- शिव सुर-भूपा ॥ जग0 ॥

आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।

अमल अनन्त अगोचर अज आनन्दराशी ॥ जग0 ॥

अविकारी, अघहारी, अकल, कलाधारी ।

कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर सँहारकारी ॥ जग0 ॥

तू विधिवधू, रमा, तू उमा, महामाया l

मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया ॥ जग0 ॥

राम, कृष्ण तू व्रजरानी राधा ।

तू वांछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा ॥ जग0 ॥

दश विद्या, नव दुर्गा, नानाशस्त्रकरा l

अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा ॥ जग0 ॥

तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू ।

तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू ॥ जग0 ॥

सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या तू शोभाधारा ।

विवसन विकट-सरूपा, प्रलयमयी धारा ॥ जग0 ॥

तू ही स्नेह-सुधामय, तू अति गरलमना l

रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि-तना ॥ जग0 ॥

मूलाधारनिवासिनि, इह-पर-सिद्धिप्रदे।

कालातीता काली, कमला तू वरदे ॥ जग0 ॥

शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।

भेदप्रदर्शिनि वाणी विमले ! वेदत्रयी ॥ जग0 ॥

हम अति दीन दुखी मा! विपत जाल घेरे।

हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे ॥ जग0 ॥

निज. स्वभाववश जननी!दयादृष्टि कीजै ।

करुणा कर करुणामयि ! चरण-शरण दीजै ॥ जग0 ॥

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देवी भागवत महापुराण
Index


  1. [अध्याय 1] गायत्रीजपका माहात्म्य तथा गायत्रीके चौबीस वर्णोंके ऋषि, छन्द आदिका वर्णन
  2. [अध्याय 2] गायत्रीके चौबीस वर्णोंकी शक्तियों, रंगों एवं मुद्राओंका वर्णन
  3. [अध्याय 3] श्रीगायत्रीका ध्यान और गायत्रीकवचका वर्णन
  4. [अध्याय 4] गायत्रीहृदय तथा उसका अंगन्यास
  5. [अध्याय 5] गायत्रीस्तोत्र तथा उसके पाठका फल
  6. [अध्याय 6] गायत्रीसहस्त्रनामस्तोत्र तथा उसके पाठका फल
  7. [अध्याय 7] दीक्षाविधि
  8. [अध्याय 8] देवताओंका विजयगर्व तथा भगवती उमाद्वारा उसका भंजन, भगवती उमाका इन्द्रको दर्शन देकर ज्ञानोपदेश देना
  9. [अध्याय 9] भगवती गायत्रीकी कृपासे गौतमके द्वारा अनेक ब्राह्मणपरिवारोंकी रक्षा, ब्राह्मणोंकी कृतघ्नता और गौतमके द्वारा ब्राह्मणोंको घोर शाप प्रदान
  10. [अध्याय 10] मणिद्वीपका वर्णन
  11. [अध्याय 11] मणिद्वीपके रत्नमय नौ प्राकारोंका वर्णन
  12. [अध्याय 12] भगवती जगदम्बाके मण्डपका वर्णन तथा मणिद्वीपकी महिमा
  13. [अध्याय 13] राजाजनमेजयद्वाराअम्बायज्ञऔरश्रीमद्देवीभागवतमहापुराणका माहात्म्य
  14. [अध्याय 14] श्रीमद्देवीभागवतमहापुराणकी महिमा
  15. [अध्याय 15] सप्तश्लोकी दुर्गा
  16. [अध्याय 16] देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्
  17. [अध्याय 17] श्रीदुर्गाजीकी आरती