वस्तुत: यह भक्ति फलरूपा है, साधन नहीं है। जो भक्ति ज्ञानका साधन मानी जाती है, वह गौणी भक्ति साधारण उपासना है, प्रेमरूपा भक्ति नहीं है। प्रेमरूपा भक्ति तो समस्त साधनोंका फल है।
तीर्थाटन साधन समुदाई जोग बिराग ग्यान निपुनाई ॥
नाना कर्म धर्म व्रत दाना संजम दम जप तप मख नाना ॥
भूत दया द्विज गुर सेवकाई बिद्या बिनय बिबेक बड़ाई ॥
जहँ लगि साधन बेद बखानी। सब कर फल हरि भगति भवानी ॥