सूतजी कहते हैं-ऋषियो। (मगध) बृहद्रथवंशीय एवं अवन्तिदेशमें वीतिहोत्रवंशीय राजाओंके समाप्त हो जानेपर पुलक अपने स्वामी (रिपुंजय) को मारकर उसके स्थानपर अपने पुत्रको अभिषिक्त करेगा। पुलकसे उत्पन्न हुआ वह बालक क्षत्रियोंके देखते-देखते केवल | शक्तिके बलपर सामन्तोंद्वारा वन्दनीय हो जायगा, किंतु उसका शासन नीति-धर्म-पूर्ण न होगा। वह नरोत्तम तेईस वर्षोंतक राज्य करेगा। इसके बाद अट्ठाईस वर्षोंतक | पालक राजा होगा। तत्पश्चात् विशाखयूप नामक राजा होगा, जो पचास वर्षोंतक राज्य करेगा। फिर सूर्यक इक्कीस वर्षोंतक राज्य करेगा। उसके बाद उसका पुत्र नन्दिवर्धन राजा होगा, जो तीस वर्षोंतक राज्य करेगा। इस प्रकार ये पाँच राजा बावन वर्षोंतक पृथ्वीका उपभोग करके नष्ट हो जायेंगे। तदनन्तर इन राजाओंके सम्पूर्ण यशका अपहरण करके शिशुनाग नामक राजा होगा, जो वाराणसी नगरीमें अपने पुत्रको स्थापित कर स्वयं गिरिव्रज (राजगृह या पाटलिपुत्र) का आश्रय लेगा। यह शिशुनाग चालीस वर्षोंतक राजा होगा। उसका पुत्र काकवर्ण होगा, जो छब्बीस वर्षोंतक पृथ्वीका राज्य करेगा। उसके बाद छत्तीस वर्षोंतक क्षेमधर्मा नामक राजा होगा। तदनन्तर चौबीस वर्षोंतक क्षेमजित् नामक राजा राज्य करेगा। तत्पश्चात् अट्ठाईस वर्षोंतकविम्वसार राजा होगा। फिर पच्चीस वर्षोंतक अजातशत्रु नामक राजा होगा। तदनन्तर उसका पुत्र दशक राजा होगा, जो पैंतीस वर्षोंतक राज्य करेगा। फिर उदासी नामक राजा तैंतीस वर्षोंतक शासन करेगा। वह राज्यके चतुर्थ वर्षमें गड़ाके दक्षिण तटपर कुसुमपुर या पाटलीपुत्र (पटना) नगर बसायेगा। उसके बाद चालीस वर्षोंतक नन्दिवर्धन राजा होगा ॥ 1-11 ॥
तदनन्तर तैंतालीस वर्षोंतक महानन्दी राजा होगा। ये दस राजा शिशुनागके बाद इस वंशमें उत्पन्न होंगे। | इस प्रकार कुल मिलाकर तीन सौ साठ वर्षोंतक | शिशुनागवंशीय राजा राज्य करेंगे, जो क्षत्रियोंमें निम्नकोटिके क्षत्रिय होंगे। इन्हीं राजाओंके साथ कलियुगमें अन्य राजा भी होंगे, जो सभी समसामयिक होंगे। उनमें चौबीस इक्ष्वाकुवंशीय सत्ताईस पाञ्चालके, चौबीस काशीके, अट्ठाईस हैहयवंशीय, बत्तीस कलिंगदेशीय, पच्चीस अश्मक (महाराष्ट्री), छब्बीस कुरुदेशी, अट्ठाईस मैथिल, तेईस शूरसेन देश (माथुर मण्डल) के तथा बीस वीतिहोत्रवंशीय- ये सभी राजा एक समयमें ही राज्य करेंगे। महानन्दिका पुत्र महापद्म कलियुग के अंशरूपसे शूद्राके गर्भ से उत्पन्न होगा। यह राजा सम्पूर्ण क्षत्रियोंका विनाशक होगा। तभी से शुद्राके गर्भ से उत्पन्न होनेवाले लोग राजा होंगे। वह महापद्म एकछत्र सम्राट् होगा, जो अट्ठासी वर्षोंतक पृथ्वीका उपभोग करेगा। वह भावीवश समस्त क्षत्रिय राजाओंका विनाश कर डालेगा ।। 12- 20 ॥
तदनन्तर उस महापद्मके वंशमें सुकल्प आदि आठ पुत्र राजा होंगे, जो क्रमश: केवल बारह वर्षोंतक राज्य करेंगे। बारह वर्षोंके बाद कौटिल्य महापद्मके पुत्रोंको उखाड़ देगा। फिर उसके सौ वर्षोंतक राज्य करनेके बाद यह राज्य मौर्यवंशके अधिकारमें चला जायगा। इसके पश्चात् उसका पुत्र शतधन्वा होगा, जो छः वर्षोंतक राज्य करेगा। उसके बाद उसका पुत्र बृहद्रथ सत्तर वर्षोंतकराज्य करेगा। तदनन्तर छत्तीस वर्षोंतक शक राजा रहेगा। शकके बाद उसका नाती सत्तर वर्षोंतक राज्य करेगा। उसका पुत्र राजा दशरथ होगा, जो आठ वर्षोंतक राज्य करेगा। तदनन्तर उसका पुत्र उन्नासी वर्षोंतक राज्य करेगा। ये दस मौर्यवंशीय राजा एक सौ सैंतीस वर्षोंतक पृथ्वीका शासन करेंगे। तदनन्तर यह राज्य शुंगवंशीयोंके हाथमें चला जायगा। उस समय शुंगवंशी सेनापति पुष्यमित्र बृहद्रथवंशज राजाओंका विनाश कर स्वयं राजा बन बैठेगा और छत्तीस वर्षोंतक राज्य करेगा ॥ 21- 27॥
तदनन्तर अग्निमित्र नामक राजा होगा, जो आठ वर्षोंतक राज्य करेगा। उसके बाद वसुज्येष्ठ सात वर्षोंतक राज्य करेगा। तत्पश्चात् वसुमित्र नामक राजा होगा, जो दस वर्षोंतक राज्य करेगा। तदनन्तर अन्धक नामक राजा दो वर्ष, फिर उसका पुत्र पुलिन्दक तीन वर्षतक राज्य करेगा। पुलिन्दकके बाद वज्रमित्र नामक राजा चौदह वर्षोंतक राज्य करेगा। उसके बाद बत्तीस वर्षोंतक समाभाग नामक राजा होगा। समाभागके बाद उसका पुत्र देवभूमि राजा होगा जो दस वर्षोंतक राज्य करेगा। ये दस छोटे छोटे राजा इस वसुंधराका तीन सौ वर्षोंतक उपभोग करेंगे। इसके बाद राज्य शुंगवंशियोंके हाथमें चला जायगा। राजा देवभूमिका अमात्य शुंगवंशीय वसुदेव राजाको मारकर पृथ्वीका शासक होगा, जो काण्वायन नामसे नौ वर्षतक राज्य करेगा। उसका पुत्र भूमिमित्र होगा, जो चौदह वर्षतक राज्य करेगा। उसका पुत्र नारायण बारह वर्षोंतक राजा रहेगा। फिर उसका पुत्र सुशर्मा दस वर्षोंतक राज्य करेगा। ये शुङ्गभृत्य राजा काण्वायन नामसे कहे गये हैं। ये काण्व नामक चालीस द्विज पैंतालीस वर्षोंतक इस पृथ्वीका उपभोग करेंगे। सामन्तोंद्वारा प्रणाम किये जानेवाले ये राजा परमधार्मिक होंगे। इनके कार्यकालमें हो पृथ्वी आन्ध्रवंशीय राजाओंके हाथमें चली जायगी ll 28- 37 ll