ईश्वरने कहा- नारद। इसके पश्चात् में श्रेष्ठ कापसाचलका वर्णन कर रहा हूँ, जिसका दान करनेसे मनुष्य धनवाला परमपदको प्राप्त कर लेता है। इस | लोकमें बीस भार रूईसे बना हुआ कार्पासपर्वत उत्तम,दस भारसे बना हुआ मध्यम और पाँच भारसे बना हुआ अधम (साधारण) कहा गया है। अल्प सम्पत्तिवाला मनुष्य कृपणता छोड़कर एक भार कपाससे बने हुए पर्वतका दान कर सकता है। मुनिश्रेष्ठ ! धान्यपर्वतकी भाँति सारी सामग्री एकत्र कर रात्रिके व्यतीत होनेपर | प्रातः काल इसे दान करनेका विधान है। उस समय ऐसा मन्त्र उच्चारण करना चाहिये- 'कार्पासाचल ! चूँकि इस | लोकमें तुम्हीं सदा सभी लोगोंके शरीरके आच्छादन हो, | इसलिये तुम्हें नमस्कार है। तुम मेरे पापसमूहका विनाश कर दो।' इस प्रकार जो मनुष्य भगवान् शिवके संनिधानमें कार्पासाचलका दान करता है, वह एक कल्पतक रुद्रलोकमें निवास करनेके पश्चात् भूतलपर राजा होता है ॥ 1-5॥