गर्गजीने कहा- ब्रह्मन् ! जब स्त्रियाँ बिना समय पूरा हुए अथवा पूरे समयके बहुत बाद प्रसव करती हैं, विकृत एवं जुड़वीं संतान पैदा करती हैं तथा मानवसे भिन्न, मुखहीन, जन्मते ही मर जानेवाले, अङ्गहीन और अधिक अङ्गवाले बच्चोंको जन्म देती हैं,उसी प्रकार वहाँके पशु, पक्षी और रेंगनेवाले जन्तु बच्चे देने लगते हैं, तब उस देश और कुलका विनाश कहना चाहिये। ऐसे उपद्रवोंके घटित होनेपर राजा अपने राष्ट्रसे उन पैदा होनेवाली संतानों और स्त्रियोंको निर्वासित कर । तदनन्तर ब्राह्मणोंकी विधिवत् पूजा करे। इस प्रकार इच्छानुसार ब्राह्मणोंको संतुष्ट करनेसे लोकमें पाप शान्तिको प्राप्त होता है ॥1-4 ॥