ऋषियोंने पूछा- सूतजी आप पिछली कथाके प्रसङ्गमें पूरुवंशी राजाओंके वंशका भविष्यसहित वर्णन हमलोगोंको सुना चुके हैं। अब आगे कलियुगमें जो सूर्यवंशी राजा होंगे, उनका वर्णन कीजिये इसी प्रकार जो कीर्तिशाली यदुवंशी राजा होंगे, उन्हें भी बताइये तथा इन वंशोंके अन्त हो जानेपर जो अन्य शुभ व्रत-परायण जातियाँ राज्य करेंगी, उनका भी संक्षेपमें वर्णन कीजिये। इसीके साथ-साथ क्रमशः यह भी बताइये कि भविष्य में कौन-सी विशेष घटनाएँ घटित होंगी? ॥1-3॥
सूतजी कहते हैं-ऋषियों! इसके बाद मैं |इक्ष्वाकुवंशी महात्मा राजाओंका वर्णन कर रहा हूँ। सूर्यवंशी राजा बृहद्बलका पुत्र वीरवर राजा बृहत्क्षय होगा तथा बृहत्क्षयका पुत्र उरुक्षय और उरुक्षयका पुत्र वत्सव्यूह होगा। वत्सव्यूहका पुत्र प्रतिव्योम तथा उसका पुत्र दिवाकर होगा। उसीकी राजधानी मध्य देशमें अयोध्या नामक सुन्दर नगरी होगी दिवाकरका पुत्र महायशस्वी सहदेव होगा तथा सहदेवका पुत्र महामना बृहदश्व होगा। उस बृहदश्वका पुत्र भानुरथ तथा भानुरथका पुत्र प्रतीपाश्च होगा। प्रतीपाश्चका पुत्र सुप्रतीक होगा और उसका पुत्र मरुदेव होगा। मरुदेवका पुत्र सुनक्षत्र उत्पन्न होगा। सुनक्षत्रका पुत्र शत्रुओंको संतप्त करनेवाला किंनराश्च होगा और किंनराश्वका पुत्र महामना अन्तरिक्ष होगा। अन्तरिक्षका पुत्र सुपेण तथा उसका पुत्र शत्रुओंको जीतनेवाला सुमित्र होगा (प्रथम) सुमित्रका पुत्र बृहद्राज और बृहद्राजका पुत्र धर्मी तथा धर्मीका पुत्र कृतंजय होगा। कृतंजयका पुत्र विद्वान् रणंजय और रणंजयका पुत्र वीरराजा संजय उत्पन्न होगा संजयका पुत्र शाक्य तथा शाक्यका पुत्र राजा शुद्धोदन होगा। शुद्धोदनका पुत्र सिद्धार्थ तथा सिद्धार्थकापुत्र राहुल होगा। उससे प्रसेनजित उत्पन्न होगा और उससे क्षुद्रककी उत्पत्ति होगी। क्षुद्रकसे कुलक और कुलकसे सुरथ उत्पन्न होगा। सुरथसे सुमित्र (द्वितीय) पैदा होगा, जो इस वंशका अन्तिम राजा होगा। ये इक्ष्वाकुवंशी राजा हैं, जो कलियुगमें उत्पन्न होंगे। ये सभी राजा शूर विद्वान् जितेन्द्रिय एवं कुलकी वृद्धि करनेवाले राजा बृहद्बलके वंशमें उत्पन्न होंगे। प्राचीनकालिक ब्राह्मणोंने इस वंशपरम्पराको सूचित करनेवाला इस भावका एक श्लोक कहा है- 'इक्ष्वाकुवंशीय राजाओंका यह वंश राजा सुमित्रके राज्यकालतक होगा। कलियुगमें यह वंश राजा सुमित्रको प्राप्त कर विश्राम करेगा।' इस प्रकार यह सूर्यवंश पहले ही कहा जा चुका है ॥ 4- 173 ॥
अब इसके बाद मैं बृहद्रथके वंशवाले मगधके राजाओंका जो जरासंधके पुत्र सहदेवके वंशमें भूत, वर्तमान तथा भविष्यकालमें उत्पन्न होंगे, वर्णन कर रहा हूँ। महाभारत युद्धमें सहदेवके मारे जानेपर उनका पुत्र सोमाधि गिरिव्रजमें राजा हुआ। उसने अट्ठावन वर्षोंतक राज्य किया। उसीके वंशमें श्रुतश्रवा नामक राजा हुआ, जो चौंसठ वर्षोंतक राज्य करता रहा। उसके बाद उसका पुत्र अयुतायु राजा हुआ, जिसने छत्तीस वर्षोंतक राज्य किया। उसका पुत्र निरमित्र हुआ, जो चालीस वर्षोंतक राज्य कर स्वर्गवासी हो गया। उसके बाद राजा सुक्षेत्र उत्पन्न हुआ, जिसने छप्पन वर्षोंतक राज्य किया। तदनन्तर बृहत्कर्माने तेईस वर्षोंतक राज्य किया। उसके बाद राजा सेनाजित्ने पचास वर्षोंतक पृथ्वीका पालनकर स्वर्गकी राह ली। तदनन्तर श्रुतंजय नामक राजा होगा, जो चालीस वर्षोंतक राज्य करेगा। उसके बाद विभु अट्ठाईस वर्षोंतक पृथ्वीपर शासक होगा तत्पश्चात् राजा शुचि चौंसठ वर्षोंतक राज्यपर स्थित रहेगा। उसके बाद राजा क्षेम अट्ठाईस वर्षोंतक पृथ्वीका उपभोग करेगा। तदुपरान्त पराक्रमी सुव्रत चौंसठ वर्षोंके लिये राज्य प्राप्त करेगा। उसके उपरान्त सुनेत्र पचीस वर्षोंतक पृथ्वीका उपभोग करेगा। तदनन्तर निवृत्ति अट्ठावन वर्षोंतक पृथ्वीका उपभोग करेगा। उसके बाद राजा त्रिनेत्र अट्ठाईस वर्षतक राज्यका भोग करेगा। तदनन्तर अड़तालीस वर्षतक घुमत्सेन राजाहोगा। उसके बाद तैंतीस वर्षोंतक महीनेत्रका राज्य होगा । तदुपरान्त बत्तीस वर्षतक चञ्चल राजा होगा। उसके बाद पचास वर्षोंतक पृथ्वी रिपुंजयके हाथमें रहेगी। इस प्रकार ये बत्तीस राजा बृहद्रथके वंशमें उत्पन्न होंगे। उनका राज्यकाल पूरा एक सहस्र वर्षका होगा ll 18-30 ॥